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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Manipur Violence: 'मैं मणिपुर के सीएम पद से इस्तीफा देता हूं...', बीरेन सिंह का नाम लिखा पत्र हुआ वायरल, क्या है पूरी कहानी?
सीएम बीरेन एन सिंह ने स्पष्ट किया कि वह अपने पद से इस्तीफा नहीं दे रहे हैं. उनकी इस घोषणा के साथ ही उनके इस्तीफे संबंधी अफवाहों पर विराम लग गया है. बीरेन सिंह के स्थिति स्पष्ट किए जाने से पहले बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के काफिले को राजभवन की ओर बढ़ने से रोक दिया था. उन्होंने महिला प्रदर्शनकारियों से कहा कि वह सीएम पद नहीं छोड़ रहे हैं.
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View In Appसिंह ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ऐसे संकट के समय में मैं मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ रहे हैं. ’’उनसे मुलाकात करने वाली महिला नेताओं ने मुख्यमंत्री आवास से बाहर आकर लोगों को आश्वासन दिया था कि सिंह इस्तीफा नहीं दे रहे हैं. अपुष्ट खबरों में कहा गया है कि सिंह ने एक त्याग पत्र टाइप किया था, लेकिन उनके समर्थकों ने उन्हें इसे फाड़ने के लिए राजी कर लिया. कुछ महिला प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि उन्होंने फटा हुआ लेटर देखा है. सोशल मीडिया पर इसकी प्रतियां भी पोस्ट की गई.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इंफाल में ऐसी अफवाहें जोरों पर थीं कि सिंह गुरुवार (29 जून) को राज्य में फिर से हुई हिंसा के बाद सीएम पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं. बृहस्पतिवार को हुई हिंसा की घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो चुकी है. इसके बाद राज्य की कई जगहों पर प्रदर्शन हुए थे. अधिकारियों ने बताया कि मणिपुर के कंगपोकपी जिले में सुरक्षा बलों तथा संदिग्ध दंगाइयों के बीच गोलीबारी में घायल हुए एक और व्यक्ति ने अस्पताल में दम तोड़ दिया, जिससे घटना में जान गंवाने वालों लोगों की कुल संख्या शुक्रवार को बढ़कर तीन हो गई.
इसी बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात करने के बाद हिंसाग्रस्त राज्य में शांति के लिए समाज के सभी वर्गों से अपील की और कहा कि हिंसा कोई समाधान नहीं है. उन्होंने मणिपुर की घटनाओं को एक त्रासदी बताया जो राज्य और देश के लिए दर्दनाक है.
राहुल गांधी ने इंफाल, चुराचांदपुर और मोइरांग में विभिन्न राहत शिविरों के अपने दौरों और सभी समुदायों के लोगों के साथ अपनी बैठकों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि एक बात जो मैं सरकार से कहना चाहूंगा, वह यह है कि शिविरों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार की जरूरत है. भोजन में सुधार की जरूरत है. दवाओं की आपूर्ति की जानी चाहिए. शिविरों से इस संबंध में शिकायतें आई हैं.
मणिपुर में मई की शुरुआत में भड़की हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं. बता दें कि मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है. वहीं नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है.
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