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मुगलई, साउथ इंडियन या चाइनीज, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को क्या पसंद था, परिवार को कहां ले जाते थे खिलाने

Manmohan Singh Death: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में 26 दिसंबर को निधन हो गया. उनकी बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब में उनके सादे जीवन की कई अनसुनी बातें शेयर की हैं.

Manmohan Singh Death: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में 26 दिसंबर को निधन हो गया. उनकी बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब में उनके सादे जीवन की कई अनसुनी बातें शेयर की हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में गुरुवार (26 दिसंबर) को निधन हो गया. वे काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. मनमोहन सिंह को भारतीय राजनीति में उनके आर्थिक सुधारों और नेतृत्व के लिए याद किया जाएगा. उनकी बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब "स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण" में उनके जीवन से जुड़े कुछ अनसुने किस्सों का उल्लेख किया है.

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मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब में खुलासा किया कि उनके पिता ने कभी भी अपने परिवार के किसी सदस्य को सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी. परिवार के सदस्य चाहें तो किसी खास जरूरत के लिए भी इस गाड़ी का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे.
मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब में खुलासा किया कि उनके पिता ने कभी भी अपने परिवार के किसी सदस्य को सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी. परिवार के सदस्य चाहें तो किसी खास जरूरत के लिए भी इस गाड़ी का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे.
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दमन सिंह के अनुसार उनके पिता को घर के आम कामों में भी कोई खास अनुभव नहीं था. उदाहरण के लिए उन्हें न तो अंडा उबालना आता था और न ही टीवी चालू करना आता था. ये छोटे-छोटे किस्से बताते हैं कि मनमोहन सिंह एक बहुत ही साधारण और ईमानदार व्यक्ति थे जिन्होंने कभी अपनी निजी जिंदगी में किसी भी तरह की सुविधा को प्राथमिकता नहीं दी.
दमन सिंह के अनुसार उनके पिता को घर के आम कामों में भी कोई खास अनुभव नहीं था. उदाहरण के लिए उन्हें न तो अंडा उबालना आता था और न ही टीवी चालू करना आता था. ये छोटे-छोटे किस्से बताते हैं कि मनमोहन सिंह एक बहुत ही साधारण और ईमानदार व्यक्ति थे जिन्होंने कभी अपनी निजी जिंदगी में किसी भी तरह की सुविधा को प्राथमिकता नहीं दी.
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मनमोहन सिंह का परिवार हर दो महीने में बाहर खाना खाने जाता था. दमन सिंह बताती हैं कि वे अक्सर कमला नगर के कृष्ण स्वीट्स में दक्षिण भारतीय खाना खाते थे या फिर दरियागंज के तंदूर में मुगलाई खाना. चाइनीज खाने के लिए वे मालचा रोड स्थित फुजिया रेस्टोरेंट जाते थे और चाट खाने के लिए उनकी पसंद बंगाली मार्केट था.
मनमोहन सिंह का परिवार हर दो महीने में बाहर खाना खाने जाता था. दमन सिंह बताती हैं कि वे अक्सर कमला नगर के कृष्ण स्वीट्स में दक्षिण भारतीय खाना खाते थे या फिर दरियागंज के तंदूर में मुगलाई खाना. चाइनीज खाने के लिए वे मालचा रोड स्थित फुजिया रेस्टोरेंट जाते थे और चाट खाने के लिए उनकी पसंद बंगाली मार्केट था.
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मनमोहन सिंह का शैक्षिक जीवन भी बहुत प्रेरणादायक था. उन्होंने 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकॉनमिक्स ट्रिपोस (तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम) किया. 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक में डी.फिल की डिग्री हासिल की.
मनमोहन सिंह का शैक्षिक जीवन भी बहुत प्रेरणादायक था. उन्होंने 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकॉनमिक्स ट्रिपोस (तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम) किया. 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक में डी.फिल की डिग्री हासिल की.
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मनमोहन सिंह ने 1971 में भारतीय सरकार में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में काम करना शुरू किया. इसके बाद वे वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने. 1980-82 के दौरान वे योजना आयोग के सदस्य रहे और 1982-1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में काम किया. इसके बाद उन्होंने 1987-90 तक जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में काम किया.
मनमोहन सिंह ने 1971 में भारतीय सरकार में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में काम करना शुरू किया. इसके बाद वे वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने. 1980-82 के दौरान वे योजना आयोग के सदस्य रहे और 1982-1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में काम किया. इसके बाद उन्होंने 1987-90 तक जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में काम किया.
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मनमोहन सिंह ने 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री के रूप में काम शुरू किया. उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए. वे 1991-96 तक वित्त मंत्री रहे और फिर 1998-2004 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे. 2004 से 2014 तक वे भारत के प्रधानमंत्री बने और देश की राजनीति में अपने नेतृत्व के लिए याद किए गए.
मनमोहन सिंह ने 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री के रूप में काम शुरू किया. उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए. वे 1991-96 तक वित्त मंत्री रहे और फिर 1998-2004 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे. 2004 से 2014 तक वे भारत के प्रधानमंत्री बने और देश की राजनीति में अपने नेतृत्व के लिए याद किए गए.
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मनमोहन सिंह का राजनीतिक जीवन भारत के आर्थिक सुधारों और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण था. उन्होंने 1991 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में काम किया और उसी साल असम से राज्यसभा के लिए चुने गए. इसके बाद वे 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर से राज्यसभा के सदस्य बने. उनके कार्यकाल में देश ने कई महत्वपूर्ण सुधारों का सामना किया और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत की.
मनमोहन सिंह का राजनीतिक जीवन भारत के आर्थिक सुधारों और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण था. उन्होंने 1991 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में काम किया और उसी साल असम से राज्यसभा के लिए चुने गए. इसके बाद वे 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर से राज्यसभा के सदस्य बने. उनके कार्यकाल में देश ने कई महत्वपूर्ण सुधारों का सामना किया और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत की.

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