Manmohan Singh Death: न बेटी, न पत्नी, मनमोहन सिंह ने परिवार के किसी सदस्य को सरकारी गाड़ी में नहीं बैठने दिया, जानें कारण
मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण में खुलासा किया कि उनके पिता ने परिवार के किसी सदस्य को कभी भी सरकारी गाड़ी के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी थी. ये उनकी ईमानदारी और अनुशासन का एक उदाहरण था.
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View In Appदमन सिंह ने बताया कि अगर उनके परिवार को कहीं जाना होता तो भी सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल नहीं होता था. यहां तक कि अगर रास्ता एक ही होता तब भी वह परिवार को अपनी गाड़ी में नहीं ले जाते थे.
मनमोहन सिंह का जीवन सादगी और अनुशासन का परिचायक रहा है. दमन सिंह ने बताया कि उनके पिता को न तो अंडा उबालना आता था और न ही टीवी चालू करना. इसके बावजूद उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को हर समय प्राथमिकता दी.
मनमोहन सिंह ने अपने करियर की शुरुआत पंजाब यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के रूप में की थी. इसके बाद वह दिल्ली यूनिवर्सिटी आए और कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दीं जिनमें चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर और प्लानिंग कमीशन के डिप्टी चेयरमैन जैसे पद शामिल हैं.
साल 1991 में मनमोहन सिंह को भारत का वित्त मंत्री बनाया गया. इसके बाद 2004 में वे भारत के प्रधानमंत्री बने. उन्होंने अपने दो कार्यकाल में देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और विकास को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई.
मनमोहन सिंह की ईमानदारी और पारदर्शिता हमेशा से उनकी पहचान रही है. सरकारी संसाधनों के प्रति उनकी सजगता उनके मूल्यों और आदर्शों को दर्शाती है. उन्होंने कभी भी अपने पद का गलत इस्तेमाल नहीं होने दिया.
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन सादगी, ईमानदारी और सेवा का प्रतीक था. उनके परिवार और देश के लिए उनका समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा. उनका जीवन अनुशासन और नैतिकता की मिसाल है.
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