बाबर की बेटी से नाराज हो गया था ऑटोमन सुल्तान, फरमान भेज कराया था यह काम
बाबर की बेटी गुलबदन बेगम का जन्म सन 1553 में काबुल में हुआ था. उनकी मां का नाम दिलदार बेगम था, जो बाबर की तीसरी पत्नी थीं. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मुगलकालीन भारत में गुलबदन बेगम पहली महिला थीं जो पवित्र हज यात्रा पर गई थीं.
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View In Appउन्हें मुगल साम्राज्य की पहली महिला इतिहासकार के रूप में भी जाना जाता है. इतिहासकार रूबी लाल ने अपनी किताब 'वेगाबॉन्ड प्रिंसेज: द ग्रेट एडवेंचर्स ऑफ गुलबदन' में उनकी जीवनी का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि गुलबदन बेगम ने फतेहपुर सीकरी की अपनी आरामदायक दुनिया को छोड़कर शाही महिलाओं के छोटे समूह के साथ छह साल की यात्रा पर जाने का फैसला किया था.
इतिहासकार के अनुसार, इस यात्रा के दौरान गुलबदन दूसरी महिलाओं के साथ पहाड़ों के जोखिम भरे रास्तों से गुजरती थीं. इस दौरान उन्हें दुश्मनों के साथ-साथ कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. इतिहासकार रूबी लाल ने लिखा है कि उस समय युद्द के चलते मुगल साम्राज्य की महिलाएं खानाबदोश जीवन बीताने की आदी हो चुकी थीं.
जब गुलबदन का जन्म हुआ था, उस समय उनके पिता बाबर घर से दूर रहते थे. मुगल साम्राज्य के पुरुष जब युद्ध लड़ रहे थे, उस समय दरबार की गतिविधियों में शाही परिवार की महिलाओं की अहम भूमिका होती थी. इतिहासकार रूबी लाल के अनुसार गुलबदन बेगम छह साल की उम्र में काबुल से आगरा तक का सफर तय करने वाली पहली मुगल महिला थीं.
1576 में गुलबदन बेगम ने अकबर के सामने हज करने की इच्छा जताई. जिसके बाद अकबर ने दो जहाजों के बाद उन्हें रवाना किया. उनकी यह यात्रा खतरों से खाली नहीं थी क्योंकि मक्का जाने वाले रास्तों पर पुर्तगालियों का कब्जा था, जो मुगल साम्राज्य के जहाजों को लूट लिया करते थे. वहीं ईरान से जाने वाले रास्तों पर चरमपंथियों का कब्जा था, जो यात्रियों पर हमला करने के लिए कुख्यात थे. इस वजह से गुलबदन एक साल तक सूरत में फंसी रहीं.
इतिहासकार के अनुसार, गुलबदन आखिरकार मक्का पहुंची. जिसके बाद वह उनके साथ गई महिलाओं ने अपने साथ ले जाए गए सोने-चांदी समेत कई चीजों का दान करना शुरू कर दिया, जिसकी चर्चा जोर-शोर से होने लगी. इस वजह से ऑटोमन सुल्तान मुराद नाराज हो गया था क्योंकि उसे लगा कि ऐसा करने से अकबर की शक्ति बढ़ेगी.
इसके बाद ऑटोमन सुल्तान ने शाही फरमान भेजकर गुलबदन और उनके साथ गई महिलाओं को अरब से बेदखल करने के लिए कहा. गुलबदन ने इस फरमान को मानने ने मना कर दिया. ऑटोमन सुल्तान के पांचवें फरमान के बाद गुलबदन अपनी साथी महिलाओं के साथ अरब से फतेहपुर सीकरी की ओर रवाना हो गईं.
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