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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
BJP छोड़ TMC में लौटे मुकुल रॉय की 'घर वापसी' की 10 तस्वीरें
चार साल पहले तृणमूल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए ममता बनर्जी के करीबी नेता मुकुल रॉय ने आज घरवापसी कर ली. टीएमसी का दामन उन्होंने अकेले नहीं थामा बल्कि उनके बेटे शुभ्रांशु ने भी टीएमसी की सदस्यता ग्रहण कर ली. इस दौरान टीएमसी प्रमुख और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और उनके भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी वहां मौजूद रहे. ममता बनर्जी और राज्य की सत्ताधारी पार्टी के अन्य नेताओं ने वापसी उनका स्वागत किया. (तस्वीर: पीटीआई)
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View In Appपार्टी में औपचारिक रूप से फिर से शामिल होने के पहले मुकुल रॉय ने तृणमूल भवन में ममता बनर्जी के साथ मुलाकात की. तृणमूल के संस्थापकों में शामिल रॉय ने कहा कि वह सभी परिचित चेहरों को फिर से देखकर खुश हैं.’’ रॉय के पार्टी में शामिल होने के बाद तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा कि रॉय को बीजेपी में धमकी दी गई थी और उन्हें प्रताड़ित किया गया, जिसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ा. (तस्वीर: पीटीआई)
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुकुल की वापसी साबित करती है कि बीजेपी किसी को भी चैन से नहीं रहने देती और सब पर अनुचित दबाव डालती है.’’ रॉय मुख्यमंत्री के बायीं ओर बैठे थे और अभिषेक उनके बाद बैठे थे. वहीं, पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी मुख्यमंत्री के दाहिने ओर बैठे थे. तृणमूल सूत्रों के अनुसार, यह पार्टी के भविष्य के क्रम का संकेत था. (तस्वीर: पीटीआई)
बनर्जी के भतीजे और तृणमूल सांसद अभिषेक के हाल ही में शहर के एक अस्पताल में रॉय की पत्नी से मिलने के बाद उनकी संभावित घर वापसी को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं. अभिषेक के दौरे के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रॉय की पत्नी के स्वास्थ्य की जानकारी ली थी. राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार प्रधानमंत्री का यह कदम रॉय को बीजेपी में बनाए रखने का प्रयास था. (तस्वीर: पीटीआई)
दिलचस्प है कि ममता और रॉय दोनों ने दावा किया कि उनके बीच कभी भी कोई मतभेद नहीं था. (तस्वीर: पीटीआई)
ममता ने कहा कि हम उन लोगों के मामले पर विचार करेंगे जो मुकुल रॉय के साथ पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे और अब वे वापस आना चाहते हैं. उनके इस बयान को संकेत माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में बीजेपी की बंगाल इकाई से दलबदल की शुरुआत हो सकती है. (तस्वीर: पीटीआई)
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी दूसरे दल में शामिल हो गए अन्य नेताओं को भी वापस लेगी, ममता ने स्पष्ट किया कि अप्रैल-मई के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले लोगों को वापस नहीं लिया जाएगा. (तस्वीर: पीटीआई)
कभी तृणमूल में दूसरे सबसे प्रमुख नेता रहे रॉय को नारद स्टिंग मामले में नाम आने के बाद फरवरी, 2015 में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से हटा दिया गया था. वह नवंबर, 2017 में बीजेपी में शामिल हुए थे. (तस्वीर: पीटीआई)
रॉय को वापस लाने की पहल संभवत: तब शुरू हुई थी जब ममता ने मार्च में एक चुनावी रैली में उनके आचरण को बहुत खराब नहीं बताया था. यह मुख्यमंत्रियों के अन्य चुनावी भाषणों के विपरीत था और उन्होंने शुभेंदु अधिकारी जैसे दल बदलने वाले नेताओं के खिलाफ तीखी टिप्पणी की थी. (तस्वीर: पीटीआई)
जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक और कलकत्ता रिसर्च ग्रुप के सदस्य रजत रॉय ने कहा कि तृणमूल चुनिंदा लोगों को वापस लेगी. उन्होंने कहा कि इसका मकसद बीजेपी को संगठनात्मक रूप से कमजोर करना होगा, लेकिन साथ ही पार्टी बहुत सारे दलबदलुओं को वापस नहीं लेना चाहेगी क्योंकि इसे असंतोष को पुरस्कृत किए जाने के तौर पर देखा जाएगा. उन्होंने कहा कि मुकुल रॉय का मामला विशेष है क्योंकि उनके बारे में कहा जाता है कि वह संगठन के लिहाज से अहम हैं. (तस्वीर: पीटीआई)
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