Mumbai Double Decker Bus: 86 साल पहले शुरू हुईं मुंबई की आइकॉनिक डबल डेकर बसें रिटायर, भावुक हुए लोग
ये बसें मुंबईकरों के जीवन के साथ कई फिल्मों और इतिहास का भी हिस्सा रही हैं. बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति और परिवहन (बेस्ट) उपक्रम मुंबई की प्रतिष्ठित लाल डबल-डेकर बसें, जो आठ दशकों से अधिक समय से शहर की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का अभिन्न अंग रही हैं, इस सप्ताह सड़कों से हट जाएंगी.
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View In Appओपन-डेक डबल-डेकर बसें, जो 1990 के दशक से पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थलों की यात्रा बसों के रूप में काम करती रही हैं, अक्टूबर के पहले सप्ताह में शहर की सड़कों से गायब हो जाएंगी.
डबल डेकर बस की शुरुआत 1937 से हुई थी. 86 सालों से ये बस मुंबई की सड़कों पर दौड़ रही हैं. बता दें कि वर्तमान में BEST के बेड़े में तीन ओपन-डेक बसों सहित केवल सात डबल-डेकर बसें बची हैं.
चूंकि ये वाहन अपने कोडल जीवन के 15 वर्ष पूरे कर रहे हैं, डबल-डेकर बसें 15 सितंबर से हमेशा के लिए सड़कों से हट जाएंगी, जबकि ओपन-डेक बसें 5 अक्टूबर को हटा दी जाएंगी.
1990 के दशक की शुरुआत में BEST के पास लगभग 900 डबल-डेकर बसों का बेड़ा था, लेकिन 90 के दशक के मध्य के बाद यह संख्या धीरे-धीरे कम हो गई. उच्च परिचालन लागत का हवाला देते हुए BEST प्रशासन ने 2008 के बाद डबल-डेकर बसों को शामिल करना बंद कर दिया.
BEST ने इस साल फरवरी से इन प्रतिष्ठित बसों को पट्टे पर ली गई बैटरी से चलने वाली लाल और काली डबल-डेकर बसों से बदलना शुरू कर दिया और अब तक लगभग 25 ऐसी बसें शामिल की जा चुकी हैं.
इस मौके पर कई मुंबईकर डबल डेकर बस को अलविदा कहने के लिए मौजूद थे. अंकुर नामक डबल डेकर बस के फैन ने एबीपी न्यूज को बताया के उनके लिए यह क्षण काफी भावुक है क्योंकि उन्होंने पूरा जीवन बिताया है इस बस में सफर करके. इसी वजह से वह पिछले तीन दिनों से रोज आ रहे हैं और खास tshirt और एक खिलौना लेकर इस सफर का लुफ्त उठा रहे हैं. वहीं, बस में मौजूद लोगों ने कहा के वे अपने बच्चों के साथ यहां आए हैं क्योंकि वे यह सफर कभी फिर से नहीं करेंगे.
कंडक्टर सचिन वाघमारे ने बताया के वह पिछले 40 साल से बेस्ट की डबल डेकर में बैठते आए हैं. जब वह कंडक्टर नही थे तब यात्री बनकर डबल डेकर के ऊपर वाली सीट पर आकर बैठ जाते थे.
उन्होंने बताया कि इस बस में 70 सीटें होती हैं. जब यात्री इसमें बैठते हैं तो उन्हें लगता है वह खुद चला रहे हैं गाड़ी, लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ खोना पढ़ता है. आज हम खुश हैं कि इसके बदले कोई नई गाड़ी आ रही है, लेकिन दुख भी है क्योंकि लोगों की यादें जुड़ी हैं इससे. हम बेहद भावुक हैं. हम इस सफर को याद करेंगे और मुंबई की शान और पहचान को हम कभी नहीं भूलेंगे.
बता दें कि इस बस को संग्रहालय में लोगों को दिखाने के लिए रखा जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ी इस बस को देख सके.
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