राजनीति में स्थिति कैसी भी हो, शरद पवार सही मोहरे चलकर बाजी पलटने के हैं माहिर खिलाड़ी, सियासी सफर की बड़ी बातें
छात्र राजनीति से शुरुआत करके चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और करीब एक दशक तक केंद्र में मंत्री रहे शरद पवार के बारे में कहा जाता है कि उलझी सियासी बिसात पर सही मोहरे चलकर बाजी पलटने में उन्हें महारत हासिल है.
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View In Appपवार ने 24 साल पहले जिस राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना की थी आज बेहद नाटकीय अंदाज में उसका अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा कर फिर सियासी पंडितों को हैरान कर दिया. भारतीय राजनीति के कद्दावर नेताओं में शुमार 82 साल के पवार ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1958 में युवा कांग्रेस में शामिल होकर की. चार साल बाद वह पुणे जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने.
उन्होंने 1967 में अपने गृह क्षेत्र बारामती निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता और तब से राज्य विधानमंडल या संसद के सदस्य हैं. पवार 1978 में 38 साल की उम्र में महाराष्ट्र के सबसे कम आयु के मुख्यमंत्री बने. उनकी प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा (PDF) सरकार दो साल तक सत्ता में रही. पवार 1988 में दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. 1990 में वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने.
पवार 1991 में नरसिंह राव के नेतृत्व वाली सरकार में रक्षा मंत्री बने और मार्च 1993 तक पद पर रहे. इसके बाद, मुंबई में दंगों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधाकरराव नाइक के पद छोड़ने पर वह चौथी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. वह 1995 के विधानसभा चुनावों तक मुख्यमंत्री बने रहे.
इस चुनाव में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन सत्ता में आया और मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने. शरद पवार को पी.ए. संगमा और तारिक अनवर के साथ 1999 में कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया. उसी साल पवार ने एनसीपी की स्थापना की.
पवार ने अपनी आत्मकथा में कहा है कि यह न केवल सोनिया गांधी के “विदेशी मूल” का मुद्दा था, बल्कि उनके फैसलों को खारिज किए जाने और कांग्रेस संसदीय दल के नेता का पद दिए जाने से इनकार करने के कारण भी वह एनसीपी बनाने के लिए प्रेरित हुए.
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में 2004 में पवार कृषि मंत्री बने. यूपीए की 2009 के आम चुनावों में जीत के बाद भी वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे. महाराष्ट्र में, एनसीपी और कांग्रेस 1999 से 2014 तक लगातार तीन बार राज्य सरकार में सत्तारूढ़ गठबंधन में थे.
महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 2014 के लिए हुए चुनावों में बीजेपी को 105 सीटों पर जीत हासिल हुई. बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही शिवसेना को 56 सीटों पर जीत हासिल हुई. सरकार बनाने के लिये गठबंधन के पास पर्याप्त सीटें होने के बावजूद दोनों सहयोगियों में सत्ता की साझेदारी को लेकर विवाद हुआ- मुख्यमंत्री का पद किसे मिलेगा यह विवाद की मूल वजह थी - जिसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ बात शुरू की.
कोई हल निकलता न देख केंद्र ने महाराष्ट्र में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगा दिया. शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने गठबंधन बनाने के लिए बातचीत जारी रखी और बाद में शरद पवार ने घोषणा की कि उद्धव ठाकरे को सर्वसम्मति से नई सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है.
हालांकि 23 नवंबर को एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में अलसुबह देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने क्रमश: मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई. यह सरकार तीन दिन ही चली जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली.
ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पवार ने कहा है कि वह एनसीपी कार्यकर्ताओं के लिए पार्टी प्रमुख के रूप में नहीं बल्कि उनका मार्गदर्शन करने के लिए एक बुजुर्ग के रूप में उपलब्ध रहेंगे. उन्होंने कहा कि वह राज्यसभा के सदस्य बने रहेंगे.
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