अंदर से कैसा दिखता है नया संसद भवन, इन 10 तस्वीरों में देखिए
नये संसद भवन में इस्तेमाल की गई हर चीज भारत की विवधता को दर्शाने का काम करती है. संसद में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की कालीन, त्रिपुरा के बांस से बने फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी का इस्तेमाल किया गया है.
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View In Appनये संसद भवन में इस्तेमाल हुई सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई थी, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया किया गया था. राष्ट्रीय राजधानी में लाल किले और हुमायूं के मकबरे के लिए बलुआ पत्थर भी सरमथुरा से लाया गया था.
संसद में लगाया गया केशरिया हरा पत्थर उदयपुर से, अजमेर के निकट लाखा से लाल ग्रेनाइट और सफेद संगमरमर अंबाजी राजस्थान से मंगवाया गया है.
संसद से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, एक तरह से लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए पूरा देश एक साथ आया. इस तरह से इसकी यह घटना एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची भावना को दर्शाता है.
अशोक चिह्न के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से लाई गई थी, जबकि संसद भवन के बाहरी हिस्सों में लगी सामग्री को मध्य प्रदेश के इंदौर से खरीदा गया था.
पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों द्वारा किया गया था और पत्थरों को कोटपूतली, राजस्थान से लाया गया था.
नये संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए ठोस मिश्रण बनाने के लिए हरियाणा में चरखी दादरी से निर्मित रेत या एम-रेत का इस्तेमाल किया गया था.
एम रेत कृत्रिम रेत का एक रूप है, जिसे बड़े सख्त पत्थरों या ग्रेनाइट को बारीक कणों में तोड़कर निर्मित किया जाता है जो नदी की रेत से अलग होता है.
निर्माण में इस्तेमाल की गई ‘फ्लाई ऐश’ की ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थीं, जबकि पीतल के काम लिए सामग्री और ‘पहले से तैयार सांचे’ गुजरात के अहमदाबाद से लिये गये.
दुनिया के देशों के मुकाबले अगर हम अपने देश की संसद की तुलना करें तो नई बनी संसद न सिर्फ सबसे भव्य है बल्कि यह दुनिया के देशों के मुकाबले सबसे बड़ी फैली हुई संसदों में से एक है. यह 9.5 एकड़ जमीन पर बनी हुई है.
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