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Noida International Airport: दुनिया के चौथे सबसे बड़े एयरपोर्ट का पीएम मोदी ने किया शिलान्यास, 3 साल में बनकर होगा तैयार, दिल्ली से होगी इतनी दूरी

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया. देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास रहने वाल लोग इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) से ही उड़ान भरते हैं. लेकिन तीन साल बाद वे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भी उड़ान भर सकेंगे. जेवर में बन रहा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट दिल्ली से 70 किलोमीटर दूर है.
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फ्रैंकफर्ट-हान एयरपोर्ट जर्मनी की राजधानी फ्रैंकफर्ट से 125 किमी की दूरी पर स्थित है. वहीं, यूके के ऐशफोर्ड एयरपोर्ट की दूरी लंदन से 127 किमी है. मेमिंगन एयरपोर्ट की दूरी जर्मनी की राजधानी म्युनिख से 116 किलोमीटर है. अब आपके जेहन में सवाल उठ रहा होगा कि ये अच्छे और बड़े इंटरनेशनल एयरपोर्ट आखिर शहर से काफी दूरी पर क्यों बनाये जाते हैं.
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दरअसल किसी विश्वस्तरीय एयरपोर्ट को बनाने के लिए बहुत ज्यादा जमीन की जरूरत होती है. वो शहर में तो मिल नहीं सकती. फिर किसी प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग की नौबत आई तो शहर के रिहायशी इलाकों में ये काम मुश्किल हो सकता है. प्लेन के पहुंचने या टेकऑफ के रास्ते पर लो विजिबिलिटी से बचने और एयर नेविगेशन के लिए भी खुला एयरपोर्ट जरूरी होता है. किसी एयरपोर्ट पर और ज्यादा रनवे बनाना पड़े तो उसके लिए भी ज्यादा जमीन की जरूरत होती है. इसीलिए एयरपोर्ट शहर से दूर बनाए जाते हैं.
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आज एयरपोर्ट के शिलान्यास के दौरान पीएम मोदी ने अपनी सरकार के विकास मॉडल को राजनीति से अलग कर, राष्ट्रनीति से जोड़ दिया. बताया कि कैसे आधुनिक निर्माण होगा, तभी गरीबों को कल्याण होगा. लेकिन निर्माण और कल्याण का जिक्र करते हुए आज उन्होंने सियासी बाण भी खूब चलाएं.
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पीएम ने कहा कि आजादी के इतने सालों तक यूपी को ताने सुनने के लिए मजबूर कर दिया जाता था, कभी गरीबी, कभी जात-पात, कभी घोटाले, कभी खराब सड़क, कभी ठप पड़े विकास के ताने. कभी माफिया गठजोड़ के ताने सुनना पड़ता था. पीएम भले ही जिक्र यूपी को मिलने वाले तानों का कर रहे थे, लेकिन सच तो ये है कि वो खुद ताना मार रहे थे. पश्चिमी यूपी की धरती से पुरानी सरकारों का माफियाओं के साथ नाता जोड़ रहे थे और लगे हाथ उज्ज्वल भविष्य के सपने भी दिखा रहे थे. बता रहे थे कि बीजेपी है, तो विकास है.
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ऐसा माना जा रहा है कि किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी यूपी में बीजेपी की लोकप्रियता कम हुई है, लेकिन अब जेवर एयरपोर्ट के आसरे बीजेपी आंदोलन से पड़े डेंट से डैमेज कंट्रोल तक का सफर तय करना चाहती है. पश्चिमी यूपी की 136 सीटों को साधना चाहती है. इन 136 सीटों को साधने के लिए ही विकास के आस में दशकों का इंतजार और डबल इंजन सरकार, दोनों का जिक्र जोरदार तरीके से किया जा रहा है.
Published at : 25 Nov 2021 10:17 PM (IST)
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अरुण पांडेराजनीतिक विश्लेषक
Opinion