मोहम्मद बिन कासिम हीरो पर भगत सिंह? पाकिस्तान में बच्चों को पढ़ाई जाती है कैसी हिस्ट्री
साल 1965 के बाद लिखी गई स्कूली किताबों में आजादी की लड़ाई को हिंदू-मुस्लिम की लड़ाई के नजरिए से बताया गया है. पाकिस्तान के इतिहास में इस्लाम धर्म के अलावा किसी और धर्म के बारे में नहीं बताया गया है.
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View In Appबंटवारे के वक्त जब पाकिस्तान और हिंदुस्तान में लोग इधर से उधर जा रहे थे तो उस घटना को भी बड़े अलग तरीके से बच्चों के सामने पेश किया जाता है. मसलन बच्चों को बताया जाता है कि हिंदुस्तान से पाकिस्तान आने वालों पर भारतीयों ने बहुत अत्याचार किए, जबकि पाकिस्तान से हिंदुस्तान जाने वालों की पाकिस्तानियों ने मदद की.
पाकिस्तानी इतिहासकार फारुख सोहेल गोइंदी बताते हैं कि पाकिस्तान में फैक्ट्स के बजाए अफसाने पढ़ाए जाते हैं. वहां की फिल्मों ड्रामों में जो तारीखें बताई जाती हैं, उनका सच्चाई से ताल्लुक नहीं होता
फारुख गोइंदी कहते हैं कि देश के अंदर जन्म लेने वालों को हीरो नहीं बताया जाता है. मोहम्मद बिन कासिम को हीरो बताया जाता है, जो हमलावर था. वहीं, आजादी के लिए शहीद होने वाले भगत सिंह जैसे लोगों के बारे में बताया नहीं जाता है. उन्होंने कहा कि यहां के हीरो अब्दुल्ला भट्टी, अहमद खां खरल हैं, भगत सिंह हैं. इन्हें यहां के हीरो के तरह नहीं बताया जाता, बल्कि छुपाया जाता है.
पाकिस्तान के इतिहास को नए तरीके से पेश करने में जुल्फीकार भुट्टो और जिया उल हक की मुहत्वपूर्ण भूमिका रही. इनके समय में शिक्षा व्यवस्था में बदलाव करके पूरा फोकस इस्लाम पर किया गया. पाकिस्तानी पत्रकार अफनान खान ने द गार्जियन के एक लेख में लिखा है, 'बच्चों को पढ़ाया गया कि पाकिस्तान में इस्लाम के अलावा दूसरे धर्म के लिए कोई जगह नहीं है और पाकिस्तान भी धर्म के आधार पर ही बना है.'
फारुख सोहेल गोइंदी बताते हैं कि जिया उल हक ने पाकिस्तान के लोगों को अपनी तारीख से काट दिया. बगदाद और स्पेन के लोगों को हीरो की तरह पेश किया जाने लगा, जिनका पाकिस्तानी मुसलमानों से कोई ताल्लुक नहीं है. उन्होंने कहा कि जिया उल हक ने इस्लामाइजेशन के नाम पर लोगों को उनके असली इतिहास से काट दिया. देश में अरब, सेंट्रल एशिया और बगदाद की तारीखों और लोगों की बाहदुरी के किस्सों को इतिहास में पढ़ाया जाने लगा.
आठवीं क्लास की हिस्ट्री की किताब में महात्मा गांधी को हिंदू नेता बताया गया है. उनके बारे में लिखा गया है कि वह बहुसंख्यक हिंदुओं के लिए काम करते थे, जबकि अल्पसंख्यक मुसलमानों के अधिकारों पर ध्यान नहीं देते थे.
इसके अलावा, मुगलों से जुड़े इतिहास को भी अलग तरीके से पेश किया गया है इसलिए मुगल शासक अकबर को विलेन बताया जाता है, जबकि औरंगजेब को हीरो बताकर उसकी बाहुदरी की कहानियां पढ़ाई जाती हैं.
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