PHOTOS: इस साल 11 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, जानिए इन्होंने क्या कुछ किए कमाल
जम्मू-कश्मीर की एक बालिका हनाया निसार ने 12 साल की उम्र में, देश का प्रतिनिधित्व करते हुए दक्षिण कोरिया के चिंगजू में आयोजित तीसरी विश्व SQAY मार्शल आर्ट्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता.
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View In Appएम गौरवी रेड्डी तेलंगाना की नृत्य रिकॉर्ड धारी बालिका हैं. 2016 में वह अंतर्राष्ट्रीय नृत्य परिषद में सबसे कम उम्र की नर्तकी नॉमिनेट हुई थीं. उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों में शास्त्रीय नृत्य किया है.
महाराष्ट्र के रोहन रामचंद्र बहिर ने अपनी जिंदगी की परवाह न करते हुए एक महिला की जान बचाने के लिए नदी में कूदकर अविश्वसनीय शौर्य का परिचय दिया था. उन्हें भी प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
दिल्ली की अनुष्का जॉली ने एंटी-बुलिंग स्क्वॉड कवच नामक एक ऐप बनाया, जो छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य परामर्श के साथ-साथ डराने-धमकाने और साइबरबुलिंग के बारे में शैक्षिक ऑनलाइन वीडियो भी प्रदान करता है.
आंध्र प्रदेश की कोलागातला अलाना मीनाक्षी एक अंतर्राष्ट्रीय शतरंज खिलाड़ी हैं, जिन्हें मई से अक्टूबर 2022 तक FIDE (अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ) द्वारा 11 लड़कियों में से नंबर-1 स्थान दिया गया है.
छत्तीसगढ़ के आदित्य प्रताप सिंह चौहान ने माइक्रोपा तकनीक बनाई, जो स्मार्ट और बेशकीमती है. यह कंप्यूटर एल्गोरिदम का उपयोग करके पीने के पानी से माइक्रोप्लास्टिक्स का पता लगाती है और फ़िल्टर करती है.
शौर्यजीत रंजीतकुमार खैरे गुजरात के राष्ट्रीय स्तर के मल्लखंभ खिलाड़ी हैं. नेशनल गेम्स 2022 में, वह सभी खेलों में सबसे कम उम्र के पदक विजेता हैं और उन्होंने स्टैंडिंग पोल ओपन कैटेगरी में कांस्य पदक जीता है.
180 के आईक्यू के साथ, कर्नाटक के ऋषि शिव प्रसन्ना सबसे कम उम्र के प्रमाणित एंड्रॉइड एप्लिकेशन डेवलपर हैं. वह संस्कृति मंत्रालय द्वारा चुने गए 40 इंडियन यूथ आइकॉन में से एक हैं. उन्होंने एलीमेंट्स ऑफ अर्थ नामक पुस्तक भी लिखी है.
ओडिशा के संभब मिश्रा ने प्रसिद्ध प्रकाशनों के लिए कई उल्लेखनीय लेख और किताबें लिखी हैं. उन्हें प्रतिष्ठित फेलोशिप ऑफ द रॉयल एशियाटिक सोसाइटी, लंदन से सम्मानित किया गया, जिससे वह 200 साल के इतिहास में समाज के अब तक के सबसे कम उम्र के ऐसे विजेता बने हैं.
असम की श्रेया भट्टाचार्जी एक कुशल तबला कलाकार हैं, जिन्होंने सबसे लंबे समय तक तबला बजाने का रिकॉर्ड बनाया है और उनका नाम 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में दर्ज किया गया है. उन्हें 9वें सांस्कृतिक ओलंपियाड के साथ-साथ तबला बजाने की कला के कई अन्य पुरस्कारों से नवाजा गया है.
आदित्य सुरेश, जो हड्डी की बीमारी से ग्रसित थे. इसके बावजूद उन्होंने 500 से अधिक कार्यक्रमों में प्रस्तुति दी. इनके समेत इस वर्ष, कुल 11 बच्चों को कला और संस्कृति (4), बहादुरी (1), नवाचार (2), समाज सेवा (1), और खेल (3) के क्षेत्र में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया. बता दें कि यह बाल पुरस्कार पांच से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को उनकी उपलब्धियों के लिए छह श्रेणियों में दिया जाता है. जिनमें कला एवं संस्कृति, बहादुरी, नवाचार, शैक्षिक, सामाजिक सेवा और खेल शामिल हैं. प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक पदक, एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार और एक प्रमाण पत्र मिलता है.
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित बच्चों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने भेंट कर उन्हें बधाइयां दीं. इसके बाद उनसे भेंट की तस्वीरें प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी शेयर कीं. कम उम्र में ही अदम्य साहस और वीरता के प्रदर्शन के लिए इन बच्चों की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में एक पुरस्कार समारोह में सराहना भी की. वह उनके बारे में जानकर न केवल हैरान हुईं, बल्कि अभिभूत भी हुईं. पुरस्कार विजेताओं के साथ अपनी बातचीत साझा करने के लिए स्मृति ईरानी ने भी ट्विटर का सहारा लिया. उन्होंने ट्वीट किया, आज प्रधानमंत्री संग्रहालय के दौरे के दौरान मैंने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2023 के विजेताओं से बातचीत की.
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