PHOTOS: राज्यसभा में हंगामे पर मंत्रियों ने कहा-माफी मांगें बदसलूकी करने वाले सांसद | विपक्ष ने निकाला मार्च
राज्यसभा में जबरदस्त हंगामे के एक दिन बाद सरकार और विपक्ष में आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी रहा. विपक्ष ने संसद से विजय चौक तक मार्च निकाला तो आठ केंद्रीय मंत्रियों ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्ष पर आरोप लगाए और हंगामा करने वाले सांसदों पर कार्रवाई की मांग की.
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View In Appविपक्षी दलों का आरोप है कि संसद के मॉनसून सत्र के आखिरी दिन मंगलवार को महिला सांसदों समेत सदन के कई सदस्यों के साथ ऐसे बाहरी लोगों ने धक्कामुक्की की, जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा नहीं है.
विपक्ष ने गुरुवार सुबह को बैठक की. बैठक में राहुल गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश, आनंद शर्मा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव, द्रमुक के टी आर बालू, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और कई अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए. तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बसपा का कोई नेता इस बैठक में शामिल नहीं हुआ.
इस बैठक के बाद विरोध में विपक्षी सांसदों ने विजय चौक तक मार्च निकाला. इस दौरान राहुल गांधी ने कहा, '‘संसद सत्र पूरा हो चुका है. जहां तक देश के 60 फीसदी हिस्से की बात है तो उनके लिए यह कोई सत्र नहीं था क्योंकि इन 60 फीसदी लोगों की आवाज को दबाया गया, अपमानित किया गया और कल राज्यसभा में पीटा गया.’’
विपक्ष के हमलावर रुख को देखते हुए सरकार की तरफ से कई मंत्रियों ने पहले सभापति वेंकैया नायडू से मुलाकात की और विपक्ष के सांसदों पर बदसलूकी का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की.
इसके बाद मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, ''नियम तोड़ने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए . सरकार ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों को ओबीसी से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद और विधेयक नहीं लाने की धमकी दी थी .''प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, मुख्तार अब्बास नकवी, अनुराग ठाकुर, प्रह्लाद जोशी, अर्जुन मेघवाल और वी. मुरलीधरन मौजूद थे.
वहीं शरद पवार, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत विपक्ष के अन्य नेताओं ने भी वेंकैया नायडू से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद शरद पवार ने ट्वीट किया, ‘‘विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज उप राष्ट्रपति से मुलाकात कर राज्यसभा में कल के हंगामे को लेकर चिंता प्रकट की. प्रतिनिधिमंडल ने केंद्र सरकार के अलोकतांत्रिक व्यवहार की एकमत से निंदा की.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने 55 साल के संसदीय करियर में महिला सांसदों के प्रति ऐसा व्यवहार कभी नहीं देखा. 40 पुरुषों और महिलाओं को सदन में बाहर से लाया गया था. यह दुखद था. यह लोकतंत्र पर हमला है.’’
विपक्ष के आरोपों के बाद उपसभापति एम वेंकैया नायडू ने उच्च सदन के अधिकारियों के साथ चर्चा की. इस दौरान अधिकारियों ने बताया कि सदन में किसी भी बाहरी को सुरक्षाकर्मी के तौर पर तैनात नहीं किया गया था.
राज्यसभा सचिवालय ने एक बयान में कहा कि लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के कर्मियों को तैनात किया गया था.. बयान में कहा गया है कि शुरुआत में सिर्फ 14 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था जिसे बढ़ाकर बाद में 42 कर दिया गया. सदन की स्थिति और पूर्व में हुए घटनाक्रमों को देखते हुए ऐसा किया गया.
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