PM Modi Bhutan Visit: पीएम मोदी को मिला भूटान का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, जानें चीन के लिए क्यों है बड़ा संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूटान के दो दिवसीय राजकीय दौरे पर हैं. शुक्रवार (22 मार्च) को पीएम मोदी को भूटान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो’ से सम्मानित किया गया. इस सम्मान की घोषणा भूटान के राजा ने 17 दिसंबर, 2021 को 114वें राष्ट्रीय दिवस समारोह के दौरान की थी.
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View In Appपीएम मोदी भूटान का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पाने वाले किसी विदेशी सरकार के पहले प्रमुख हैं. भूटान के राजा जिग्मे खेसर नांग्याल वांगचुक ने पीएम मोदी को ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो’ से सम्मानित किया.
पीएम मोदी को भूटान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो’ से ऐसे समय सम्मानित किया गया जब भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद के जल्द समाधान को लेकर बातचीत चल रही है. माना जा रहा है कि पीएम मोदी को मिला यह सम्मान चीन के लिए बड़ा संदेश है. यह भारत और भूटान की गहरी दोस्ती को दर्शाता ही है और यह भी कि भारत भूटान के हितों के साथ मजबूती से खड़ा है. भूटान ने पहली बार किसी विदेशी प्रमुख को इस सम्मान से सम्मानित करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी चुना, इस बात से भी चीन को मिर्ची लग सकती है.
भारत और भूटान के मजबूत संबंध को पीएम मोदी के संबोधन से समझा जा सकता है जो उन्होंने भूटान में यह पुरस्कार गृहण करने के बाद दिया. पीएम मोदी ने भूटान में अपने संबोधन में भी कहा, ''आज एक भारतीय के नाते मेरे जीवन का बहुत बड़ा दिन है. आपने मुझे भूटान के सर्वोच्च राष्ट्रीय अवॉर्ड से सम्मानित किया है. हर अवॉर्ड अपने आप में विशेष होता ही है लेकिन जब किसी अन्य देश से अवॉर्ड मिलता है तो ये भरोसा मजबूत होता है कि हम दोनों देश सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.''
पीएम मोदी ने कहा, ''हमारा ये विश्वास भी बढ़ता है कि हमारे प्रयासों से दोनों देशों के लोगों का कल्याण हुआ है. हमें और अधिक परिश्रम करने का उत्साह मिलता है, ऊर्जा मिलती है, लेकिन यह सम्मान मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत और 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है. भूटान की इस महान भूमि पर मैं सभी भारतवासियों की ओर से यह सम्मान नम्रता से स्वीकार करता हूं और इस सम्मान के लिए आपका (भूटान नरेश) और भूटान की जनता का हृदय से कोटि-कोटि धन्यवाद करता हूं.''
पीएम मोदी ने कहा, ''140 करोड़ भारतवासी जानते हैं कि भूटान के लोग उनके अपने परिवार के सदस्य हैं. भूटान के लोग भी यह जानते हैं, मानते हैं कि भारत उनका परिवार है. हमारे संबंध अटूट हैं. हमारी मित्रता अटूट है. हमारा आपसी सहयोग अटूट है और सबसे बड़ी बात है हमारा विश्वास भी अटूट है...''
चीन की मानसिकता का अंदाजा, हाल में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ओर जारी हुई रिपोर्ट से लगता है, जिसमें एशिया में हथियारों की होड़ के पीछे प्रमुख कारक चीन की महत्वाकांक्षाओं पर देशों की चिंता को बताया गया है. आसान भाषा में कहें तो चीन की वजह से देशों को अपने हथियार बढ़ाने पड़ रहे हैं. सब जानते हैं कि भारत हमेशा से हर मोर्चे पर चीन से निपटता आया है. उम्मीद है कि पीएम मोदी की भूटान यात्रा, उन्हें मिला भूटान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान और उनके कहे शब्दों पर चीन की पैनी नजर होगी और उसे अपने दायरे में रहने का संदेश भी जरूर मिला होगा.
अक्टूबर 2023 में भूटान-चीन सीमा के परिसीमन और सीमांकन पर संयुक्त तकनीकी टीम की जिम्मेदारियों और कार्यों को रेखांकित करने वाले एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. इसके बावजूद चीन भूटान के साथ अपनी विवादित सीमा पर सीमावर्ती गांवों की योजना को आगे बढ़ा रहा है. इस समझौते पर भूटान के विदेश मंत्री डॉ. टांडी दोरजी की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए.
चीन और भूटान के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं लेकिन अधिकारी समय-समय पर दौरों के जरिए संपर्क बनाए रखते हैं. चीन ने अपने 12 अन्य पड़ोसियों के साथ अपने सीमा विवादों को सुलझा लिया है, भारत और भूटान ही ऐसे दो देश हैं जिनके साथ उसने अभी तक सीमा समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. भूटान और चीन के बीच सीमा मुद्दे पर बातचीत पर भारती भी पैनी नजर है. आज दुनिया के सामने चीन की विस्तारवादी मानसिकता जगजाहिर है.
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