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Vadnagar: 2800 साल पुरानी बस्ती के सबूत, पीएम मोदी के गांव में 7 साल से ASI कर रही थी खुदाई, देखें तस्वीरें
Vadnagar ASI Survey: गुजरात के वडनगर में पुरातत्व विभाग के सर्वे के दौरान जमीन के नीचे से 2800 साल पुरानी संस्कृति के कई साक्ष्य मिले हैं. इनमें सात शासकों के प्रमाण भी मिले हैं.

वडनगर में खुदाई में मिली संरचना
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गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांव वडनगर में एक पुरातात्विक खुदाई के दौरान करीब 2800 साल पुरानी बस्ती के सबूत मिले हैं. वडनगर में यह खुदाई आईआईटी खड़गपुर और पुरातत्व विभाग (एएसआई) की टीम की ओर से की जा रही थी. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, यहां करीब 800 ईसा पूर्व के मानव बस्ती के कई सबूत मिले हैं. यहां पिछले 7 सालों से खुदाई का काम चल रहा था.
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आईआईटी खड़गपुर में भूविज्ञान और भूभौतिकी के प्रोफेसर डॉ. अनिंद्य सरकार ने एएनआई को बताया कि वडनगर में खुदाई का काम 2016 से चल रहा है और टीम ने 20 मीटर गहराई तक खुदाई की है.
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एएसआई के पुरातत्वविद अभिजीत अंबेकर ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया है कि कई गहरी खाइयों में की गई खुदाई में सात सांस्कृतिक चरणों की उपस्थिति का पता चला है. इसमें मौर्य, इंडो-ग्रीक, इंडो-सीथियन या शक-क्षत्रप, हिंदू-सोलंकी, सल्तनत-मुगल (इस्लामी) से लेकर गायकवाड़-ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और आज वर्तमान में जारी शहर तक शामिल हैं. उन्होंने बताया कि इस खुदाई के दौरान सबसे पुराने बौद्ध मठों में से एक की खोज की गई है.
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अंबेकर ने बताया कि खुदाई के दौरान मिट्टी के बर्तन, तांबा, सोना, चांदी, लोहे की वस्तुएं और जटिल डिजाइन वाली चूड़ियों जैसी पुरात्विक कलाकृतियां मिली हैं. उन्होंने बताया कि वडनगर में इंडो-ग्रीक शासन काल के यूनानी राजा एपोलोडैटस के सिक्के के सांचे भी पाए गए हैं. उन्होंने यह भी दावा किया है कि खोजे गए अवशेष वडनगर को भारत में अब तक खोदे गए एक ही किले के भीतर सबसे पुराना शहर बनाते हैं.
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आईआईटी खड़गपुर के जियोलॉजिस्ट अनिंद्य सरकार का कहना है कि उनकी हाल की कुछ अप्रकाशित रोडियोकार्बन तिथियों से पता चलता है कि यह बस्ती 1400 ईसा पूर्व जितनी पुरानी हो सकती है. यह पोस्ट-अर्बन हड़प्पा पीरियड के अंतिम चरण के समकालीन है. ये पिछले 5,000 वर्षों से भारत में सांस्कृतिक निरंतरता को दर्शाता है और तथाकथित अंधकार युग एक मिथक हो सकता है.
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उन्होंने कहा, "हमारे आइसोटोप डेटा और वडनगर में सांस्कृतिक काल की तारीखों से पता चलता है कि भारत में जिन विदेशी सभ्यताओं के सबूत मिले हैं, उन सभी के आक्रमण ठीक उसी समय हुए, जब कृषि प्रधान भारतीय उपमहाद्वीप मजबूत मानसून के साथ समृद्ध था, लेकिन मध्य एशिया अत्यधिक शुष्क और निर्जन था, जहां बार-बार सूखा पड़ता था. इस वजह से वहां से लगभग सभी आक्रमण और प्रवासन हुए."
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वहीं पुरातत्व पर्यवेक्षक मुकेश ठाकोर ने कहा कि अब तक एक लाख से अधिक अवशेष खोजे जा चुके हैं. उन्होंने कहा, 'वडनगर में खुदाई तब से चल रही है, जब पीएम मोदी गुजरात के सीएम थे.'
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मुकेश ठाकोर ने कहा कि अब तक एक लाख से अधिक अवशेष निकाले जा चुके हैं. ये एक जीवंत शहर है इसका कारण ये है कि यहां की जल प्रबंधन प्रणाली और जल स्तर अच्छा है.
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उन्होंने आगे कहा कि वडनगर में अब तक लगभग 30 स्थलों की खुदाई की गई है. बौद्ध, जैन और हिंदू समेत विभिन्न धर्मों के लोग यहां सद्भाव से रहते थे. यहां आईआईटी खड़गपुर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और डेक्कन कॉलेज के शोधकर्ता एक साथ काम कर रहे हैं.
Published at : 17 Jan 2024 09:28 AM (IST)
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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