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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Punganur Cow Price: जिस 90 सेंटीमीटर ऊंची पुंगनूर गाय को PM मोदी ने दुलारा, 50 हजार रुपए Kg मिलता है उसका घी
वायरल फोटोज़ में लोगों को काफी छोटी गाय देखने को मिली थी. पीएम मोदी को भी पहली बार इन गायों को यूं पुचकारते देखा गया. राजनीतिक जानकारों की मानें को पीएम मोदी इन गायों के जरिए दक्षिण भारत के वोटरों को लुभाने की कोशिश में थे.
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View In Appराजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि जिन गायों के साथ पीएम मोदी की फोटो चर्चा का केंद्र बनी, उनका दक्षिण भारत में खासा महत्व है. इन चीजों से इतर कई लोग इन गाय के बारे में जानना चाह रहे थे. आइए, जानते हैं पुंगनूर गाय के बारे में:
पीएम मोदी ने जिन गायों को दुलारा उन पुंगनूर गायों का कनेक्शन आंध्र प्रदेश से है. आंध्र ही नहीं बल्कि समूचे दक्षिण भारत में इन गाय को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं हैं.
यह भी माना जाता है कि अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन से जब कई दुर्लभ चीजें निकली थीं उनमें से एक सुरभि गाय थी. सुरभि गाय को वेद पुराणों में कामधेनु भी कहा गया है. आंध्रवासी मानते हैं कि पुंगनूर ही उस सुरभि गाय का स्वरूप है.
पुंगनूर गाय की यह नस्ल चित्तूर जिले की है जिसकी कीमत 2 लाख रुपए से लेकर 25 लाख रुपए तक के बीच रहती है. ऐसा माना जाता है कि इस गाय के दूध में कई औषधीय गुण भी होते हैं.
पुंगनूर गाय 70 से 90 सेंटीमीटर ऊंची होती है और इसका वजन 100 से 200 किलो तक होता है. इस नस्ल की एक गाय रोजाना करीब 3 लीटर तक दूध देती है. यह दूध अधिकतम 1 हजार रुपए लीटर तक बिकता है और इससे बने घी का दाम 10 हजार से 50 हजार रुपए किलो तक है.
ऐसा बताया जाता है कि भगवान तिरुपति बालाजी का अभिषेक इसी पुंगनुर गाय के दूध से होता है. तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के लिए जो लड्डू बनता है उसमें भी इसी गाय के दूध का इस्तेमाल किया जाता है.
आंध्र में पूर्वी गोदावरी जिले के लिंगमपट्टी गांव में चार एकड़ में फैली गोशाला में पुंगनूर गाय का फिलहाल संरक्षण किया जा रहा है. यह गाय जितनी छोटी होती है, इसकी कीमत उतनी ही ज्यादा होती है.
पिछले कुछ साल से पुंगनूर नस्ल के संरक्षण पर काम हो रहा है. यह देश में सबसे कम संख्या वाली गोवंश नस्लों में तीसरे नंबर पर है. आईवीएफ तकनीक से आंध्र प्रदेश सरकार इसकी आबादी बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है.
पशुधन गणना 2013 के अनुसार, आंध्र में पुंगानुर गायों की संख्या सिर्फ 2 हजार 772 थी. 2019 में की गई पशुधन गणना की मानें तो पुंगानुर गोवंश की संख्या 13 हजार 275 तक पहुंच गई थी.
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