Rajasthan Water Crisis: राजस्थान के कई इलाकों में बूंद-बूंद को तरसे लोग, छह साल बाद पानी ट्रेन से पहुंचाया जाएगा
गर्मी का कहर बढ़ने के साथ ही राजस्थान के कई इलाकों में पानी की ज़बरदस्त किल्लत शुरू हो गई है. पाली ज़िला ऐसा ही एक इलाका है जहां शहरी और ग्रामीण दोनों ही जगह पानी की भीषण क़िल्लत हो रही है. शहरी जनता को पानी पिलाने के लिए 15 अप्रैल से पाली में ट्रेन के ज़रिए जोधपुर से पानी पहुंचाने की तैयारी है. लगभग छह साल बाद पाली को वाटर ट्रेन के ज़रिए पानी दिया जाएगा. पाली में कैसे हालात हैं. इस ग्राउंड रिपोर्ट में जानें वहां की हकीकत.
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View In Appपाली के रोहट के बीठू गांव. यहां के हालात बेहद गम्भीर हैं. गांव में बरसों से सरकारी टैंकर के ज़रिए ही पानी पहुंच रहा है, लेकिन पानी खारा और बेहद गंदा है. लेकिन लोगों की मजबूरी है कि उन्हें यही पानी ही पीना पड़ता है. गांव में वैसे तो पानी की पांच सार्वजनिक टंकियां हैं, लेकिन किल्लत की वजह से केवल एक टंकी में ही टैंकर का पानी डाला जा रहा है. घर के लिए पानी भरने की वजह से गांव की कई बच्चियों को स्कूल और पढ़ाई से दूर होना पड़ा है.
ग्रामीण महिला मीरा बताती हैं कि दिन भर घर के लिए पानी का जुगाड़ करना रोहट के गांवों की महिलाओं के लिए उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है. पानी चाहे कितना भी खारा और गंदा क्यों ना हो काम उसी से चलाना पड़ता है.
बड़े बर्तन और केन में पानी भर लिया जाए तो उसको घर तक लेकर जाना भी किसी चूनौती से कम नहीं तो ऐसे में महंगा पेट्रोल खर्च करके कोई दुपहिया तो कोई साइकिल से इन भारी बर्तनों को लेकर जाने के लिए मजबूर है.
रोहट के लगभग 84 गांवो की हज़ारों की आबादी जहां सरकारी टैंकर से मिलने वाले पानी पर निर्भर है. वहीं दूसरी तरफ निजी टैंकर मालिक सरकार से मिल रहे सस्ते पानी को मुंह मांगे दाम पर गांव वालों को बेचकर खूब चांदी काट रहे हैं. इस गांव की पड़ताल में हमें पानी के इस महंगे कारोबार का भी पता चला. नरपत सिंह नाम के एक टैंकर चालक ने बताया कि वो सरकारी पानी का पूरा टैंकर 133 रुपए में ख़रीदता है और पंद्रह बीस किलोमीटर दूर गांव में जाकर उसे दो हज़ार में बेचता है.
इलाके में चल रहे इस पानी के कारोबार की पड़ताल के लिए एबीपी न्यूज़ उस जगह पहुंचा जहां से टैंकर चालक सरकारी पानी सिर्फ़ 133 रुपए में ख़रीद रहे हैं. ये काम जैतपुर के वाटर हाइडेंट पर चल रहा था. बहुत से टैंकर चालक सरकारी पर्ची कटाकर पानी भरने के लिए इंतज़ार करते दिखे और बाहर टैंकर पानी भर रहे थे.
रामबाबू नाम के इंजीनियर ने तो पानी के कारोबार पर पर्दा डालने की कोशिश की, लेकिन धीरेंद्र नाम के वही खड़े शख़्स ने इस बात को सही बताया कि टैंकर वाले डेढ़ से दो हज़ार रुपए वसूल रहे हैं.
अपनी पड़ताल के अगले चरण में हमारी टीम पहुंची सिणघरी गांव में. यहां जब पानी का एक टैंकर आया तो मानों पूरे गांव में हड़कम्प मच गया. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां लोगों को दो से तीन दिन बाद टैंकर के दर्शन होते हैं. जिस जिस को भी गांव में टैंकर आने की खबर लगी सभी अपने बर्तन लेकर दौड़ पड़े पानी भरने के लिए. क्या जवान और क्या महिला सिर्फ़ इतना ही नहीं छोटे छोटे बच्चे भी पानी के लिए जारी इस कवायद का हिस्सा बनते दिखे. पानी का टैंकर गांव में आया और शुरू हो गई मारामारी.
रोहट के दर्जनों गांवों की इस बदहाली के लिए प्रशासन काफी हद तक ज़िम्मेदार है. साल 2002 में जोधपुर के कुडी इलाके से मीठा नहरी पानी पहुंचाने के लिए करीब चालीस किलोमीटर लम्बी पाइप लाइन बिछाई गई थी. ये पाइप लाइन रोहट तक आ रही है, लेकिन रख रखाव की कमी की वजह से ये पाइप लाइन जर्जर हो गई और अब मुसीबत देख कर इस पाइप लाइन की सुध ली जा रही है.
अब पाली शहर के लिए जोधपुर से वाटर ट्रेन के ज़रिए पानी लाने की तैयारी भी ज़ोर शोर से चल रही है. ट्रेन का पहला फेरा पंद्रह अप्रैल से शुरू होगा. ये ट्रेन पाली के रेलवे स्टेशन पर कैसे आएगी और कैसे पानी लोगों तक पहुंचेगा अब हम आपको ये बता रहे हैं. अभी पाली शहर में पानी की सप्लाई पांच से सात दिन में हो रही है और ट्रेन से पानी के परिवहन पर बीस करोड़ का खर्च आएगा.
पाली में पानी को लेकर मचे हाहाकार को लेकर हमने रोहट के एसडीएम सुरेश के एम और पाली के विधायक ज्ञान चंद पारख से भी बात की. सुरेश के एम ने उम्मीद जताई कि कुडी और रोहट की पाइप लाइन मरम्मत के बाद इलाके के गांवों के हालात सुधर जाएंगे. पांच बार से विधायक ज्ञान चंद पारख ने पानी की इस विकट स्थिति के लिए प्रशासन को ज़िम्मेदार बताया.
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