Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 तारीख को राम मंदिर में क्या-क्या होगा? जानें सब
22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या में तैयारियां लगभग पूरी की जा चुकी हैं. प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या और राम मंदिर को त्रेतायुग की तर्ज पर सजाया जा रहा है. इसके लिए खास फूल मंगाए जा रहे हैं.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appइस बीच राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया है कि प्रभु श्री राम की मूर्ति को इस ढंग से बनाया गया है कि प्रत्येक रामनवमी के दिन सूर्य देव स्वयं श्री राम का अभिषेक करेंगे. विशेषज्ञों की सलाह से रामलला के विग्रह की लंबाई और स्थापना स्थल की ऊंचाई का ध्यान रखा गया है. जिससे हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन दोपहर 12:00 बजे सूर्य देव की किरणें प्रभु श्री राम के मुख पर पड़ेंगी.
विशेषज्ञों की सलाह से रामलला के विग्रह की लंबाई और स्थापना स्थल की ऊंचाई का ध्यान रखा गया है. जिससे हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन दोपहर 12:00 बजे सूर्य देव की किरणें प्रभु श्री राम के मुख पर पड़ेंगी.
वहीं योगीराज अरुण की तैयार की गई मूर्ति श्याम वर्ण की है और रामलला के विग्रह की ऊंचाई 51 इंच है. इसमें भगवान श्री राम के हाथ में धनुष और तीर है और उनके मुख पर सुंदर मुस्कान झलक रही है.
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ द्वारा निकाला गया है. 22 जनवरी के दिन अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा पूजा संपन्न की जाएगी.
प्राण प्रतिष्ठा के लिए मुख्य पूजा दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड के बीच की जाएगी.
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि बाल स्वरूप में रामलला की प्रतिमा मंदिर में विराजमान होगी. प्रतिमा में बालक की कोमलता, चेहरे पर मुस्कान, आंखों की दृष्टि , शरीर, उसमें देवत्य इन बारीकियों का भी ध्यान मूर्ति के चयन में रखा गया है.
चंपत राय ने बताया कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 16 जनवरी से धार्मिक अनुष्ठान प्रारंभ कर दिए जाएंगे. मूर्ति गर्भ गृह में अपने आसन पर 18 जनवरी की दोपहर में स्थापित कर दी जाएगी.
चंपत राय ने बताया कि अगर मूर्ति का जल से स्नान कराया जाए या दूध से स्नान हो पत्थर का कोई प्रभाव दूध और पानी पर नहीं पड़ना चाहिए. अगर कोई इंसान उस जल का आचमन कर ले तो किसी भी आदमी के शरीर पर कोई दुष्परिणाम न हो, इसका विचार किया गया है.
इसके पहले 23 अप्रैल को 155 देशों और सात महाद्वीपों के नदियों और समुद्रों से ले गए जल से रामलला का अभिषेक किया गया था. विशेष रूप से, पाकिस्तान की रावी नदी का जल भी जलाभिषेक के लिए इस्तेमाल होने वाले कलश में शामिल किया गया. रावी का जल पहले पाकिस्तान के हिंदुओं ने दुबई भेजा था और फिर दुबई से दिल्ली लाया गया. पाकिस्तान के अलावा सूरीनाम, चीन, यूक्रेन, रूस, कजाकिस्तान, कनाडा और तिब्बत सहित कई अन्य देशों की नदियों से जल प्राप्त किया गया है.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -