Ramlala Pran Pratishtha: मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर अखिलेश तक, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से इन नेताओं ने बनाई दूरी, जानें कौन-कौन नहीं आ रहा अयोध्या
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी. मंदिर न्यास की ओर से उन्हें आमंत्रित किया गया था लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था.
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View In Appकांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भी निमंत्रण पहुंचा था लेकिन वह प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. कांग्रेस ने राम मंदिर के कार्यक्रम को राजनीतिक करार दिया है और कहा है कि बीजेपी और आरएसएस चुनावी फायदे के लिए इस समय यह कार्यक्रम करा रहे हैं.
लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने का निमंत्रण अस्वीकार किया है. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व एक ही बात कह रहा है कि यह बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों अपनी पार्टी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' में व्यस्त हैं. हाल में राम मंदिर जाने को लेकर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने मीडिया से कहा था कि आरएसएस और बीजेपी ने 22 जनवरी के कार्यक्रम को पूरी तरह से राजनीतिक और 'नरेंद्र मोदी फंक्शन' बना दिया है. उन्होंने कहा था, ''हम सभी धर्मों के साथ हैं. हिंदू धर्म से जुड़े सबसे प्रमुख लोगों (शंकराचार्य) ने भी अपने विचार प्रकट किए हैं कि यह एक राजनीति कार्यक्रम है. इसलिए हमारे लिए ऐसे किसी कार्यक्रम में जाना बहुत मुश्किल है जिसे प्रधानमंत्री और संघ के इर्द-गिर्द तैयार किया गया है.''
कांग्रेस नेता जयराम रमेश भी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को राजनीतिक करार दिया है. उन्होंने हाल में कहा था कि बीजेपी और आरएसएस की यह राजनीतिक परियोजना लंबे समय से चली आ रही है. उन्होंने कहा था कि धर्म का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है लेकिन वह साफ कर चुके हैं कि 22 जनवरी को वह कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे और बाद में दर्शन करने जाएंगे.
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी अभी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. हाल में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था, ''उनका (ट्रस्ट का) एक लेटर आया था, उसके बाद हमने उनको फोन किया, उन्होंने बताया कि कोई पर्सनली इन्वाइट करने के लिए फाइनल इन्विटेशन देने पर्सनली उनकी टीम आएगी, वो तो आई नहीं लेकिन कोई बात नहीं. लेटर में उन्होंने लिखा है कि बहुत वीआईपी और वीवीआईपी आएंगे और इसीलिए सुरक्षा के मद्देनजर एक ही व्यक्ति अलाउड है वहां पर इस टाइम जाने के लिए.'' सीएम केजरीवाल ने कहा कि वह चाहते हैं कि अपनी धर्मपत्नी, बच्चों और माता-पिता के साथ जाएं, इसलिए बाद में चले जाएंगे.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी. उन्होंने हाल में घोषणा की थी कि 22 जनवरी को वह सद्भाव रैली निकालेंगी, जिसकी थीम 'सभी धर्म बराबर हैं' होगी.
आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भी राम मंदिर के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया था लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया था. हालांकि उन्होंने कार्यक्रम में शामिल न होने को लेकर कोई वजह नहीं बताई.
सीपीआई(एम) महासचिव सीताराम येचुरी को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन उन्होंने कार्यक्रम का राजनीतिकरण किए जाने की बात कहते हुए इसे अस्वीकार कर दिया था.
एनसीपी प्रमुख शरद पवार को भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया है लेकिन उन्होंने ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को पत्र लिखकर कहा कि वह बाद में समय निकालकर राम मंदिर में दर्शन करने जाएंगे.
शिवसेना (यूबीटी) नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण मिला है. उन्हें डाक के जरिए निमंत्रण भेजा गया, जिस पर पार्टी ने नाराजगी जताई. हालांकि यह साफ नहीं हो पाया है कि उद्धव ठाकरे कार्यक्रम में शामिल होंगे या नहीं.
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