Mahakumbh 2025: फूलों से सजे भाले लिए जब महाकुंभ पहुंच गए नागा साधु, 5 किमी तक जुटी रही भीड़
अटल अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा शैव सन्यासी के नेतृत्व में संपन्न हुई. यात्रा में परंपरा, उत्साह और अनुशासन का सुंदर संयोजन देखने को मिला. अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में ये यात्रा पूरी भव्यता के साथ निकल रही थी.
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View In Appयात्रा की शुरुआत अखाड़े के इष्ट देवता भगवान गजानन की सवारी से हुई. इसके बाद अखाड़े के बाकी परंपरागत देवताओं की सवारी भी दिखी. इस खास यात्रा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हो गई थी जो अखाड़े के देवताओं को श्रद्धा और भक्ति से देख रहे थे.
अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश में विशेष रूप से नागा संन्यासियों की उपस्थिति ने लोगों का ध्यान खींचा. ये पहला अखाड़ा था जिसमें नागा संन्यासी भी शामिल थीं जो अपनी भव्यता और आस्था के प्रतीक के रूप में यात्रा में हिस्सा ले रही थे.
यात्रा में एक बाल नागा भी श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बना. उसकी उपस्थिति ने यात्रा को और भी विशिष्ट बना दिया और दर्शकों में उत्सुकता का संचार किया.
अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती ने बताया कि इस छावनी प्रवेश में 20 से ज्यादा महा मंडलेश्वर और दो सौ से ज्यादा नागा संन्यासी शामिल हुए. ये संख्या दिखाती है कि अखाड़े की महिमा और इसकी आस्था का दायरा कितना व्यापक है.
यात्रा में अखाड़े के संत रथों में सवार होकर शहर की सड़कों से गुजर रहे थे. लोग सड़कों के दोनों किनारों पर खड़े थे ताकि वे इन संतों का आशीर्वाद हासिल कर सकें. रथों की भव्यता और संतों का आशीर्वाद यात्रा को और भी गरिमा प्रदान कर रहे थे.
अटल अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में फूलों से सजे भाले भी शामिल थे जिन्हें अखाड़े के इष्ट देवता से कम सम्मान नहीं मिलता. इनमें सूर्य प्रकाश नामक विशेष भाला शामिल था जो सिर्फ प्रयागराज के महाकुंभ में ही अखाड़े के आश्रम से निकलता है. यात्रा का ये विशेष भाला श्रद्धालुओं में अद्भुत आस्था और श्रद्धा का प्रतीक था.
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