CWC की बैठक में सोनिया गांधी बोलीं- अगर पार्टी को लगता है तो हम तीनों इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हैं
विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की करारी शिकस्त पर मंथन करने के लिए कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारक इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक पार्टी मुख्यालय में करीब साढ़े चार घंटे से अधिक समय तक चली.
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View In Appइस बैठक में सोनिया गांधी के अलावा, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कई अन्य नेता शामिल हुए.
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने भाषण में कहा कि अगर पार्टी को लगता है तो हम तीनों (सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी) इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन CWC ने सर्वसम्मति से इसे खारिज कर दिया.
सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस पार्टी ने अध्यक्ष सोनिया गांधी से आग्रह किया गया कि वह संगठनात्मक चुनाव संपन्न होने तक अध्यक्ष बनी रहें और पार्टी को मजबूत बनाने के लिए जरूरी कदम उठाएं.
कार्य समिति के सदस्य अजय कुमार का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस ने गोवा में खराब प्रदर्शन किया, आम आदमी पार्टी इसके पहले इतने चुनाव हारी लेकिन न तो ममता बनर्जी से और न ही अरविंद केजरीवाल से किसी ने इस्तीफे को लेकर सवाल नहीं किया है.
अजय कुमार ने बताया कि कार्य समिति की बैठक के दौरान सोनिया गांधी ने कहा कि वह पार्टी हित में और कार्य समिति के कहने पर पीछे हट सकती हैं लेकिन सभी सदस्यों ने कहा कि हम लोगों को आरएसएस और बीजेपी के षड्यंत्र में नहीं फंसना चाहिए.
अजय कुमार के मुताबिक़ बैठक में गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में आस्था जताई और कहा कि G23 मीडिया का दिया हुआ नाम है, हम कांग्रेस पार्टी की बेहतरी चाहते हैं.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बताया कि हर नेता ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया और संगठनात्मक चुनाव संपन्न होने तक उनसे अध्यक्ष पद पर बने रहने का आग्रह किया.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गहलोत ने कहा कि आज के समय में राहुल गांधी देश के इकलौते नेता हैं, जो पूरे दमखम के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर रहे हैं.
सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान पार्टी के कई नेता एवं कार्यकर्ता पार्टी के मुख्यालय के निकट एकत्र हुए और राहुल गांधी के समर्थन में नारेबाजी की तथा उन्हें पार्टी की कमान एक बार फिर से सौंपने की मांग की.
यह अहम बैठक ऐसे समय हुई है, जब कांग्रेस ने पंजाब में सत्ता गंवा दी और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी उसे करारी हार का सामना करना पड़ा है.
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