Tirupati Balaji: भक्तों ने चढ़ाया 11329 किलो सोना, ब्याज से ही कई हजार करोड़ की कमाई; तिरुपति मंदिर के पास कितना खजाना
तिरुपति बालाजी या तिरुमाला मंदिर देश के बड़े और अमीर मंदिरों में से एक है, जहां हर साल अरबों खरबों रुपए का चढ़ावा भक्त चढ़ाते हैं. हालांकि, इन दिनों यहां मिलने वाले प्रसाद में लड्डू को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. विवाद को किनारा कर मंदिर के इतिहास की बात करते हैं. यह क्यों अमीर मंदिरों में गिना जाता है और हर साल कितना चढ़ावा मंदिर पर चढ़ता है?
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View In Appआंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में स्थित तिरुमला की पहाड़ियों में स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की पूरी दुनिया में पूजा की जाती है. भगवान विष्णु के इस मंदिर के कई नाम है, जैसे वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर, तिरुमाला मंदिर, तिरुपति मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर और भी अन्य चर्चित नाम से इन्हें जाना जाता है. वहीं मंदिर का मैनेजमेंट आंध्र प्रदेश सरकार के अधीन आता तिरुमला तिरुपति देवस्थानम नमक ट्रस्ट यानी की टीटीडी करता है.
अब यह बताते हैं कि यह मंदिर अमीर मंदिरों में क्यों गिना जाता है तो आपको बता दें कि मंदिर का बजट मौजूदा समय में 5000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है. मंदिर की कुल संपत्ति देश में मौजूद बड़ी-बड़ी कंपनियों की कीमत से भी ज्यादा है. साल 2023-24 के वित्तीय वर्ष के समय मंदिर ने 1161 करोड़ रुपए जमा किए, इसके बाद ट्रस्ट की कुल सर्वाधिक जमा राशि 18 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा हो गई है.
साल 2023-24 के दौरान ही मंदिर ने 1031 किलोग्राम से भी ज्यादा का सोना जमा कर इतिहास रच दिया है. 3 सालों के अंदर अलग-अलग बैंकों में 4000 किलो से भी ज्यादा का सोना एकत्रित किया गया, जिससे तिरुपति बालाजी के ट्रस्ट टीटीडी का सोने का भंडार 11329 किलोग्राम हो गया.
आपको बता दें कि वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की आय कई स्रोतों से होती है, जैसे भक्तों के चढ़ावे से, भक्तों की ओर से किए गए दान से, सावधि जमा पर ब्याज राशि से और भक्तों के द्वारा मंदिर के मैनेजमेंट ट्रस्ट टीटीडी और इसके अन्य संचालित ट्रस्टों को करोड रुपए के किए गए दान के रूप में होती है. इन सब में सबसे बड़ा आय का जरिया है श्रद्धालुओं की ओर से दिया गया चढ़ना, जिसे “हुंडी कनुका” कहा जाता है. बता दें कि इस साल यानी कि साल 2024 में भक्तों की ओर से 1611 करोड़ रुपए का चढ़ावा मंदिर को चढ़ाया गया है.
वहीं दूसरा सबसे बड़ा स्रोत रहा ब्याज के रूप में हुई कमाई, जो की 1167 करोड रुपए की रही. मंदिर में आए का तीसरा सबसे बड़ा जरिया रहा प्रसादम से होने वाली कमाई. इसके बाद पवित्र भोजन से 600 करोड़ रुपए की आय हुई. ये आय बीते साल 550 करोड़ रुपए की थी. इसके साथ ही 347 करोड़ रुपए नकदी और बैंक में जमा की गई है. बैंक में जमा की हुई राशि में 180 करोड़ रुपए की गिरावट आई है.
मंदिर के ट्रस्ट टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी धर्म रेड्डी ने बीते साल तिरुपति बालाजी की संपत्ति का ब्योरा जारी किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि मंदिर के नाम पर 11225 किलो सोना विभिन्न बैंकों में जमा किया गया है. इनमें से भी मुख्य देवता के सोने की आभूषणों का वजन 1088.62 किलोग्राम था और चांदी के जेवरों का वजन 9071.85 किलो था.
न केवल धन और सोने के आभूषण का चढ़ावा तिरुपति बालाजी को चढ़ता है बल्कि ट्रस्ट के अंतर्गत वन भूमि और हजारों एकड़ संपत्तियां भी है. ट्रस्ट के अंतर्गत 6000 एकड़ वन भूमि, 75 स्थान पर 7636 एकड़ अचल संपत्ति. इसके अंतर्गत 1226 एकड़ खेती किसानी वाली भूमि और 6409 एकड़ गैर किसानी भूमि भी है. वहीं देश भर के अंदर कुल 71 ऐसे मंदिर हैं, जो इस ट्रस्ट के सहयोग से चल रहे हैं. कई संपत्तियां पट्टे पर चल रही है, जिसके जरिए चार करोड़ रुपए की सालाना कमाई हो जाती है. न केवल भूमि बल्कि 307 जगह विवाह स्थल भी बनाए गए हैं.
अब आपको यह बताते हैं कि इतने बड़े बजट का इस्तेमाल कहां-कहां होता है. 2024 और 25 के बजट अनुमान के मुताबिक मंदिर में काम कर रहे कर्मचारियों को 1733 करोड़ रुपए वेतन में खर्च किए गए हैं, जो बीते साल यानी की 2023 और 24 में खर्च किए गए 16664 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है. मंदिर में इस्तेमाल होने वाली सामग्री में 791 करोड़ रुपए की लागत लगी. वही ट्रस्ट ने इंजीनियरिंग कार्यों के लिए 350 करोड़ रुपए लागत का अनुमान लगाया है, जो बीते साल की तुलना में 25 करोड़ रुपए से ज्यादा का है.
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