Tirupati Laddu Row: तिरुपति का लड्डू कैसे बन गया भगवान बालाजी का पसंदीदा भोग? ये हैं प्रसादम से जुड़े 5 बड़े फैक्ट्स
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित तिरुपति बालाजी का प्रसिद्ध मंदिर है, जो विश्वरभर में जाना जाता है. यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री वेंकटेश्वर स्वामी को समर्पित है.
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View In Appआंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के लड्डूओं में मिलावट पर बड़ा खुलासा हुआ है. प्रसाद में फिश ऑयल और जानवरों की चर्बी मिलने की पुष्टि हुई है. जिसके बाद से सियासी भूचाल से आ गया है. ये जानकारियां सामने आने के बाद तिरुपति के श्रद्धालुओं में काफी नाराजगी है.
तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम का इतिहास बहुत पुराना है. लड्डू प्रसाद तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर की पारंपरिक रीतियों और भक्ति और पूजा से जुड़ा हुआ है. तिरुपति बालाजी के मंदिर में लड्डू को प्रसादम के तौर पर भगवान को चढ़ाया जाता है.
मान्यता है कि भगवान विष्णु के सभी मंदिरों में पंचमेवा प्रसाद का काफी महत्व है. इन्हें मिलाकर प्रसाद बनाया जाता है. इसी तरह लड्डू ही प्रसाद में चढ़ने लगे, जिसमें बेसन, घी, चीनी, काजू, किशमिश मिलाकर बनाया जाता है.
धार्मिक मान्यता है कि, जब भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति स्थापित की जा रही थी, तब मंदिर के पुजारी ये विचार कर रहे थे कि प्रभु को प्रसाद में क्या चढ़ाए, तभी एक बूढ़ी महिला हाथ में लड्डू का थाल लेकर मंदिर पहुंची और उसने प्रभु को भोग चढ़ाने की मांग की. वहीं, पुजारियों ने इसे भोग लगाकर प्रसाद रूप में ग्रहण किया तो वो स्वाद से हैरान रह गए. जब तक वो बुजुर्ग महिला से कुछ पूछ पाते तब तक वो वहां से गायब हो गई.
माना जाता है कि उसी समय से लड्डू को भगवान वेंकटेश्वर का विशेष प्रसादम माना जाने लगा. इसे भक्तों के बीच बांटने की परंपरा शुरू हुई. इन लड्डुओं को खास सामग्री जैसे बेसन (चने का आटा), चीनी, घी, काजू, किशमिश, इलायची, और अन्य ड्राई फ्रूट्स के साथ मिलाकर बनाया जाता है.
लड्डू की प्रासंगिकता का महत्व ये है कि भारत में लड्डू शुभ और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. लड्डू को एकता और संगठन का प्रतीक भी माना जाता है. इसके साथ ही तिरुपति के लड्डू प्रसादम बहुत ही शुभ और पवित्र माने जाते हैं.
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