Farmers Protest: नए कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने 25 सितंबर को किया ‘भारत बंद’ का आह्वान, देखें तस्वीरें
केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ जारी प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 25 सितंबर को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया. एसकेएम ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य पिछले साल नवंबर से शुरू हुए किसान आंदोलन को और अधिक मजबूती और विस्तार देना है. दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एसकेएम के आशीष मित्तल ने कहा, “हम 25 सितंबर को ‘भारत बंद’ का आह्वान कर रहे हैं.’’
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View In Appउन्होंने कहा, “पिछले साल की तरह इस साल भी यह बंद उसी तारीख पर आयोजित हो रहा है और हमें उम्मीद है कि कोरोना वायरस महामारी के बीच पिछले साल हुए बंद के मुकाबले यह ज्यादा सफल रहेगा.” शुक्रवार को संपन्न हुए किसानों के अखिल भारतीय सम्मेलन के समन्वयक मित्तल ने कहा कि दो दिवसीय कार्यक्रम सफल रहा और 22 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इसमें न सिर्फ कृषि संघों के बल्कि महिलाओं, मजदूरों, आदिवासियों के साथ-साथ युवाओं और विद्यार्थियों के कल्याण के लिए काम करने वाले संगठनों के सदस्य भी शामिल हुए.
सम्मेलन के दौरान, पिछले नौ महीनों से चल रहे किसानों के संघर्ष पर चर्चा और विचार-विमर्श हुआ, और कृषि कानूनों के खिलाफ उनके आंदोलन को अखिल भारतीय आंदोलन बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया. मित्तल ने कहा, इस सम्मेलन के दौरान हमने चर्चा की कि कैसे सरकार कॉर्पोरेट समर्थक कानूनों के साथ किसान समुदाय पर हमला कर रही है और कैसे बाजार पर कब्जा करके, किसानों की उपज कम कीमत पर खरीदी जाएगी. मित्तल ने कहा, दिवालियापन के कगार पर खड़ी सरकार ईंधन की कीमतों और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि करके किसानों, मजदूरों और आम आदमी से पैसा वसूल करने की कोशिश कर रही है. ये सभी जनविरोधी कदम कॉरपोरेट को लाभ पहुंचाने के लिए हैं. यह बंद इन सभी कारकों के खिलाफ हमारे आंदोलन को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने, सभी फसलों के एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, बिजली विधेयक, 2021 को निरस्त करने और 'एनसीआर और आस-पास के क्षेत्रों में एक्यू प्रबंधन आयोग विधेयक 2021' के तहत किसानों पर मुकदमा नहीं चलाने की उनकी मांगों पर भी सम्मेलन के दौरान चर्चा की गई. मित्तल ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को होने वाली किसानों की आगामी रैली के बारे में भी विस्तार से बताया और कहा कि इसमें लाखों लोगों के भाग लेने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा, वहां से इस आंदोलन को मजबूत करने का आह्वान किया जाएगा. आंदोलन को वहां हर जिले में ले जाया जाएगा, और हमने लोगों से बड़ी संख्या में भाग लेने की अपील की है. उन्होंने कहा, हमने जिला और निचले स्तर के किसान और श्रमिक संगठनों से भी अपील की है कि वे एक साथ आएं और इन कानूनों के प्रभाव पर चर्चा करें और देश भर में सामूहिक आंदोलन करें.
इधर, एबीपी न्यूज़ के शिखर सम्मेलन में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि अब हम यूपी में महापंचायत करेंगे. ये सरकार किसानों की मांगों को अनसुना कर रही है. चुनावों को लेकर राकेश टिकैत ने कहा, ‘’कहीं जाने पर पाबंदी है क्या? भटिंडा में तो कई चुनाव नहीं है. हम प्रचार नहीं कर रहे हैं. सरकार ही हमारी बात नहीं सुन रही है तो देश में तो जाना ही होगा. अब हम लखनऊ का घेराव करेंगे.’’
तीन विवादास्पद कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध प्रदर्शन को गुरूवार को नौ महीने पूरे हो गए. सरकार के साथ 10 दौर से अधिक की बातचीत भी दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है. सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है.
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