Joshimath Sinking: दर्द, गुस्सा, पीड़ा...जोशीमठ में छूट रहा है अपना आशियाना, देखें तस्वीरें
उम्रभर की कमाई और जी-तोड़ मेहनत से बने आशियानों पर बुलडोजर और हथौड़ा चलने की नौबत आई तो जोशीमठ के पीड़ितों का दर्द आंसू और गुस्से के साथ फूट पड़ा. रोते हुए कई महिलाओं ने कहा, ''हमारा बचपन यहीं बीता पढे-लिखे. खेले-कूदे.. अब कहा जा रहा है कि हम यहां से चले जाएं. अब हम कहां जाएं?'
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View In Appलोगों में दर्द का दरिया उमड़ पड़ा है. कहने के लिए शब्द नहीं बचे हैं. स्थानीयों की पीड़ा का विस्तार जोशीमठ से लेकर कर्णप्रयाग तक है. बदरीनाथ हाईवे पर जोशीमठ से करीब 80 किलोमीटर पहले कर्णप्रयाग में एक बड़ी आबादी की जान जोखिम में है. कहीं-कहीं घरों में इतनी गहरी दरारें हैं कि वो गिरने के कगार पर हैं.
एक बुजुर्ग ने सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनका किया हमें भुगतना पड़ रहा है. उसने कहा, ''अब हमें अपने घरों से जाने को कहा जा रहा है. एक कमरे में क्या होगा... हम नहीं जाएंगे, चाहे हमें गोली मार दें.''
एक होटल मालिक ने कहा, ''हम किसी भी सूरत में नहीं जाएंगे. ये गुंडागर्दी है.. दादागीरी है. उनके घर की एक महिला ने कहा- 'जब तक जिंदा हूं तब तक यहां डटी रहूंगी.
त्रासदी के बीच जोशीमठ की विवाहित बेटियां अपने मायके पहुंची हैं. जिस घर में उनके बचपन की अनगिनत यादें बिखरी हैं, जहां से पढ़े-लिखे, जवान हुए, जहां से ससुराल के लिए विदा हुए. वे अब उस जगह को आखिरी बार अपनी आंखों में भर लेना चाहती हैं.
भू-धंसाव के कारण जोशीमठ क्षतिग्रस्त भवनों की संख्या 723 हो चुकी है. सुरक्षा के दृष्टिगत कुल 131 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित किया गया है. जोशीमठ नगर क्षेत्रान्तर्गत अस्थाई रूप से 1425 क्षमता के 344 राहत शिविर के साथ ही जोशीमठ क्षेत्र से बाहर पीपलकोटी में 2205 क्षमता के 491 कक्षों/हॉलों को चिन्हित किया गया है.
भू-विशेषज्ञ बता रहे हैं कि दरके हुए पहाड़ों के मलबे पर बसा जोशीमठ धंस रहा है. उनका दावा है कि अब इस नगर को तबाह होने से बचाना मुश्किल है. क्योंकि सुरंग की वजह से यहां रोज 6 करोड़ लीटर पानी बहा, इससे पहाड़ खोखला हो गया. सरकार को बड़े संकट का अंदाजा लग गया है, इसलिए लोगों को घर-मकान सब छोड़ने को कहा जा रहा है.
आशंका जताई जा रही है कि एक साथ 50 से 100 घर न गिर जाएं. इसलिए सबसे जरूरी काम यहां से लोगों को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया जाना है. बीते 2-3 दिनों में काफी परिवारों को दूसरी जगह भेजा जा चुका है. कुछ लोगों से सरकारी राहत शिविरों में जाने को कहा गया है.
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