ऑटिज्म बीमारी से ग्रस्त बच्चों की जिंदगी में खुशियां ला रहे हैं ITBP के रिटायर्ड डॉग्स, देखें तस्वीरें
कभी नक्सल प्रभावित इलाकों में लैंड-माइन ढूंढकर अपने साथी जवानों की जान बचाने वाले आईटीबीपी के 'के-9' स्कॉवयड के वेटरन कैनाइन अब ऑटिज्म जैसी बीमारी से ग्रस्त बच्चों के जीवन में खुशियां लाने का काम कर रहे हैं. आईटीबीपी के मुताबिक चंडीगढ़ स्थित एक स्पेशल चिल्ड्रन सेंटर में के-9 स्कॉवयड के उन चार डॉग्स को ले जाया गया जो अब अपनी सेवाओं से रिटायर हो चुके हैं. इन चार डॉग्स के नाम सुल्तान, रोजी, स्पीड और तूफान हैं.
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View In Appसुल्तान और रोज़ी लैबराडोर ब्रीड के हैं जबकि स्पीड एक जीएसडी है और तूफान मेलोनिस है. चंडीगढ़ के इस स्पेशल सेंटर में 115 बच्चे हैं जो ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर बीमारी से ग्रस्त हैं. ऐसे में इन बच्चों के लिए पहली बार खास डॉग-थेरेपी का इस्तेमाल किया गया.
के-9 स्कॉवयड से मिलकर और उनके साथ खेलकर स्पेशल बच्चों के चेहरों पर मुस्कान दौड़ गई. ये बच्चे ना केवल डॉग्स को सहला रहे थे बल्कि उनके साथ बॉल और रिंग्स से खेलते हुए भी दिखाई पड़े. डॉग्स भी आईटीबीपी के हैंडलर (जवानों) की देखरेख में बच्चों से घुलमिल गए.
इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के पंचकुला स्थित डॉग-ट्रेनिंग सेंटर के डीआईजी सुधाकर नटराजन के मुताबिक नॉन-वर्बल, नॉन-ह्यूमन की उपस्थिति ऑटिज्म बच्चों के लिए बेहद सुखदायक थी. इन डॉग्स के साथ हाइपर-एक्टिव बच्चों भी बेहद शांत नजर आए. इसके साथ साथ उनके हाथ और आंखों के समन्वय में भी सुधार दिखाई पड़ा. सुधाकर नटराजन के मुताबिक, ऐसा इसलिए है क्योंकि डॉग्स की उपस्थिति इंसानों की उपस्थिति के विपरीत बिल्कुल नॉन-जजमेंटल होती है. अगर स्पेशल चिल्ड्रन डॉग्स की आंखों में गहराई से देखते हैं तो बच्चों में बहुत से संज्ञानात्मक परिवर्तन आ सकते हैं.
आईटीबीपी ऐसा पहला अर्द्धसैनिक बल है जो रिटायर के-9 स्कॉवयड का इस्तेमाल ऑटिज्म बच्चों की थेरेपी के लिए इस्तेमाल कर रही है. दरअसल अपनी सेवाएं देने के बाद के-9 स्कॉवयड के डॉग्स को आईटीबीपी के पंचकूला स्थित सेकंड इनिंग रिटायरमेंट होम में रखा जाता है. आईटीबीपी के ये वेटेरन के-9 स्कवॉयड के डॉग्स के साथ अब हफ्ते में तीन दिन ऑटिज्म बच्चों के साथ खेलने जाया करेंगे.
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