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Bengal Panchayat Election Result: बंगाल पंचायत चुनाव में बीजेपी और लेफ्ट-कांग्रेस की हार तो हुई, लेकिन रिजल्ट लेकर आया है खुशखबरी

Bengal Panchayat Election: पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में टीएमसी ने अपना परचम लहराया, लेकिन इसके पीछे छिपे संकेतों से पता चलता है कि विपक्ष ने 2018 के मुकाबले अपने दायरे में विस्तार किया है.

Bengal Panchayat Election: पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में टीएमसी ने अपना परचम लहराया, लेकिन इसके पीछे छिपे संकेतों से पता चलता है कि विपक्ष ने 2018 के मुकाबले अपने दायरे में विस्तार किया है.

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव

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तथ्य यह है कि 2018 में टीएमसी ने 34 प्रतिशत सीट निर्विरोध जीती थीं, लेकिन इस बार ऐसी सीट की संख्या बहुत कम थी जहां निर्विरोध जीत दर्ज की गई और इससे सत्ताधारी दल के लिए लड़ाई ‘कठिन’ हो गई.  मतदान करने के तरीके में इस बदलाव का अर्थ यह हो सकता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम की तस्वीर उस तस्वीर से बिल्कुल अलग हो सकती है जिसे सत्ताधारी पार्टी और मुख्य विपक्षी दल, दोनों ही देखना चाहते हैं.
तथ्य यह है कि 2018 में टीएमसी ने 34 प्रतिशत सीट निर्विरोध जीती थीं, लेकिन इस बार ऐसी सीट की संख्या बहुत कम थी जहां निर्विरोध जीत दर्ज की गई और इससे सत्ताधारी दल के लिए लड़ाई ‘कठिन’ हो गई. मतदान करने के तरीके में इस बदलाव का अर्थ यह हो सकता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम की तस्वीर उस तस्वीर से बिल्कुल अलग हो सकती है जिसे सत्ताधारी पार्टी और मुख्य विपक्षी दल, दोनों ही देखना चाहते हैं.
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थिंक टैंक ‘कलकत्ता रिसर्च ग्रुप’ के सलाहकार और वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकार रजत रॉय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पिछली बार विपक्ष केवल 20 प्रतिशत ग्राम पंचायत सीट हासिल करने में कामयाब रहा था, लेकिन इस बार उन्होंने अब तक लगभग 27-28 प्रतिशत सीट हासिल कर ली हैं.  रॉय ने इंगित किया कि हिंसा भी इस बार पिछले सालों की तरह एकतरफा नहीं रही, सभी दल अनैतिक कृत्यों में संलिप्त हुए और अपने प्रतिद्वंद्वियों पर हमला किया.  उन्होंने कहा कि हिंसा का रूप बदल गया है और इसने जमीनी हकीकत को भी काफी हद तक बदल दिया है.
थिंक टैंक ‘कलकत्ता रिसर्च ग्रुप’ के सलाहकार और वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकार रजत रॉय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पिछली बार विपक्ष केवल 20 प्रतिशत ग्राम पंचायत सीट हासिल करने में कामयाब रहा था, लेकिन इस बार उन्होंने अब तक लगभग 27-28 प्रतिशत सीट हासिल कर ली हैं. रॉय ने इंगित किया कि हिंसा भी इस बार पिछले सालों की तरह एकतरफा नहीं रही, सभी दल अनैतिक कृत्यों में संलिप्त हुए और अपने प्रतिद्वंद्वियों पर हमला किया. उन्होंने कहा कि हिंसा का रूप बदल गया है और इसने जमीनी हकीकत को भी काफी हद तक बदल दिया है.
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ग्राम पंचायत चुनाव की 63,219 सीट के लिए हुए चुनाव में बीजेपी लगभग 10 हजार सीट जीतने में कामयाब रही, लेकिन वाम दल और कांग्रेस ने भी सम्मिलित रूप से करीब 6000 सीट पर जीत दर्ज की.  ताजा तस्वीर 2018 की तस्वीर से अलग है जब ग्राम पंचायत की 48,650 सीट के लिए हुए चुनाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) और कांग्रेस ने सम्मिलित रूप से केवल 1500 सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन बीजेपी को 5800 सीट पर विजय मिली थी.
ग्राम पंचायत चुनाव की 63,219 सीट के लिए हुए चुनाव में बीजेपी लगभग 10 हजार सीट जीतने में कामयाब रही, लेकिन वाम दल और कांग्रेस ने भी सम्मिलित रूप से करीब 6000 सीट पर जीत दर्ज की. ताजा तस्वीर 2018 की तस्वीर से अलग है जब ग्राम पंचायत की 48,650 सीट के लिए हुए चुनाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) और कांग्रेस ने सम्मिलित रूप से केवल 1500 सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन बीजेपी को 5800 सीट पर विजय मिली थी.
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सीपीआईएम के एक नेता ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से वाम पुनरुत्थान है जिसे चुनाव परिणामों में देख सकते हैं, विशेष रूप से मुर्शिदाबाद, नादिया, हुगली और बर्धमान जिलों में.  उन्होंने कहा कि असल में इसके पहले बालीगंज निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनावों में ही इसकी शुरुआत हो गई थी जब उनकी पार्टी ने बीजेपी को हराकर साबित कर दिया कि टीएमसी का असली विकल्प वाम दल है.   सीपीआईएम नेता सायरा शाह हलीम ने कहा, ‘‘रणनीति में बदलाव, प्रवासी श्रमिकों, गरीब किसानों और गांवों से बड़े शहरों में रोजाना यात्रा करने वाले सेवा वर्ग जैसे विशिष्ट लक्ष्य समूहों पर ध्यान केंद्रित करने, युवा उम्मीदवारों को मैदान में उतारने और युवा प्रचारकों का इस्तेमाल करने से हमारे संदेश को फैलाने में मदद मिली.’’
सीपीआईएम के एक नेता ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से वाम पुनरुत्थान है जिसे चुनाव परिणामों में देख सकते हैं, विशेष रूप से मुर्शिदाबाद, नादिया, हुगली और बर्धमान जिलों में. उन्होंने कहा कि असल में इसके पहले बालीगंज निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनावों में ही इसकी शुरुआत हो गई थी जब उनकी पार्टी ने बीजेपी को हराकर साबित कर दिया कि टीएमसी का असली विकल्प वाम दल है. सीपीआईएम नेता सायरा शाह हलीम ने कहा, ‘‘रणनीति में बदलाव, प्रवासी श्रमिकों, गरीब किसानों और गांवों से बड़े शहरों में रोजाना यात्रा करने वाले सेवा वर्ग जैसे विशिष्ट लक्ष्य समूहों पर ध्यान केंद्रित करने, युवा उम्मीदवारों को मैदान में उतारने और युवा प्रचारकों का इस्तेमाल करने से हमारे संदेश को फैलाने में मदद मिली.’’
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साल 2021 के चुनाव में टीएमसी ने 49.59 प्रतिशत वोट हासिल किये थे, लेकिन बीजेपी ने 37.39 प्रतिशत वोट हासिल करके 77 सीट पर जीत दर्ज की. वाम और कांग्रेस को क्रमश: केवल 5.66 प्रतिशत और 3.03 प्रतिशत वोट मिले थे.  इस पंचायत चुनाव में बीजेपी की सीट की संख्या 2018 के 5,776 से बढ़कर करीब 10 हजार हो गई जो करीब 12 प्रतिशत की बढ़त को दर्शाता है. इस पंचायत चुनाव में बीजेपी को लगभग 16 प्रतिशत सीट पर जीत हासिल हुई है.
साल 2021 के चुनाव में टीएमसी ने 49.59 प्रतिशत वोट हासिल किये थे, लेकिन बीजेपी ने 37.39 प्रतिशत वोट हासिल करके 77 सीट पर जीत दर्ज की. वाम और कांग्रेस को क्रमश: केवल 5.66 प्रतिशत और 3.03 प्रतिशत वोट मिले थे. इस पंचायत चुनाव में बीजेपी की सीट की संख्या 2018 के 5,776 से बढ़कर करीब 10 हजार हो गई जो करीब 12 प्रतिशत की बढ़त को दर्शाता है. इस पंचायत चुनाव में बीजेपी को लगभग 16 प्रतिशत सीट पर जीत हासिल हुई है.

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