क्या है ऑपरेशन लोटस? जिसका JMM को सता रहा डर
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झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस के नेता बार-बार ऑपरेशन लोटस की बात कर रहे हैं. यह शब्द 2008 में पहली बार कर्नाटक में ऑपरेशन लोटस शब्द सियासी चर्चा में आया था. वैसे ऑपरेशन लोटस बीजेपी का कोई अभियान नहीं है. विपक्ष जोड़-तोड़कर बनाने की बीजेपी की कवायद को ऑपरेशन लोटस कहता है.
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उस समय बीजेपी को 225 में से 110 सीटें मिली थीं और बहुमत के लिए 3 सीट और चाहिए थी. ऐसे में कर्नाटक के पूर्व मंत्री जी जनार्दन रेड्डी ने दलबदल विरोधी कानून को दरकिनार किया और 7 विपक्षी विधायकों को इस्तीफा दिलाकर बीजेपी में शामिल करवा लिया.
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इसके बाद इन सात सीटों पर उपचुनाव हुए और इन सीट पर 7 में से 5 विधायकों ने जीत हासिल और इस तरह बीजेपी की कुल सीटें 110 से 115 हो गई और कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बन गई. हालांकि, इसके बाद भी कई राज्यों में ऑपरेशन लोटस किया गया.
2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा 114 सीट मिलीं. उस वक्त बीजेपी को 109 सीट मिली थीं. कांग्रेस नेता कमलनाथ सीएम बने थे, लेकिन मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 22 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा. मार्च 2020 में शिवराज सिंह चौहान सीएम बने. इसके बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी जीती और उसकी सीटें बढ़ गई.
ऐसा ही कर्नाटक में भी हुआ. 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 104 सीट मिली. वह बहुमत से 9 सीट कम थी. हालांकि, सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी ने सरकार बनाई, लेकिन बहुमत न होने की वजह से मई 2018 में सरकार गिर गई.
इसके बाद कांग्रेस-JDS गठबंधन की सरकार बनी. 2019 में विधायकों के विद्रोह के बाद कांग्रेस सरकार भी गिर गई और जुलाई 2019 में बीजेपी ने एक बार सरकार बनाई और दिसंबर 2019 में हुए उपचुनाव जीतकर बहुमत बरकरार रखा.
झारखंड में भी महागठबंधन को अपने विधायकों को टूटने का खतरा है, इसलिए 36 विधायकों को हैदराबाद भेजा गया है. इससे पहले हेमंत सोरोन ने भी कहा था कि ये (बीजेपी) किसी भी हद तक जा सकते हैं. चंपई का नाम उन्होंने ही बंद लिफाफे में लिखकर दिया था कि वो ही झारखंड संभालेंगे.
इस बीच बीजेपी नेता बाबू लाल मरांडी ने कहा है कि हमको लग रहा है विधायक उनके साथ नहीं हैं, इसलिए उन्हें यहां से हैदराबाद ले गए हैं. वरना क्यों ले जाएंगे? उनके भीतर जो भय का माहौल है, वो समझ से परे है. ये किससे डर रहे हैं जबकि उनकी सरकार है. पूरा शासन तंत्र उनके पास है. उन्हें अपने लोगों से डर है.अपने विधायकों से डर है.
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