Tripura हिंसा को लेकर Maharashtra के कई शहरों में बवाल, दुकानों में तोड़फोड़-पथराव, पुलिस ने किया लाठीचार्ज
त्रिपुरा हिंसा के विरोध में महाराष्ट्र के कई शहरों में आज मुस्लिम संगठनों ने बंद का ऐलान किया. इस दौरान कुछ ठिकानों से हिंसा की खबरें आई हैं. नांदेड़ में हिंसक भीड़ ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और भारी पथराव किया जिसमें 2 पुलिसकर्मी घायल हो गए. सरकारी वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया. मालेगांव में भी काफी उत्पात मचा. हिंसक भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा.
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View In Appनांदेड़ में हिंसक भीड़ ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और भारी पथराव किया जिसमें 2 पुलिसकर्मी घायल हो गए. सरकारी वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया. मालेगांव में भी काफी उत्पात मचा. हिंसक भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा.
मालेगांव के एसपी सचिन पाटिल ने हिंसा पर कहा कि शाम को हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने एक्शन लिया है. फिलहाल मालेगांव में शांति है. नियमित तौर पर पेट्रोलिंग शुरू हो गई है. मैं लोगों को बताना चाहूंगा कि वे अफवाहें फैलाना बंद करें वरना उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.
वहीं गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने दो वकीलों और एक पत्रकार की उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई, जिसमें त्रिपुरा में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ कथित तौर पर हुई हिंसा के तथ्य सोशल मीडिया के जरिए साझा करने के आरोप में यूएपीए के कठोर प्रावधानों के तहत दर्ज आपराधिक मामले रद्द करने का अनुरोध किया गया है. त्रिपुरा में अल्पसंख्यक समुदाय के पूजा स्थलों के खिलाफ कथित हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं समेत 102 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
तथ्य खोज समिति का हिस्सा रहे नागरिक समाज के सदस्यों ने भी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी है कि 'गैरकानूनी गतिविधियों' की परिभाषा अस्पष्ट और व्यापक है. इसके अलावा, कानूनन आरोपी को जमानत मिलना बेहद मुश्किल हो जाता है. हाल ही में बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की खबरों के बाद त्रिपुरा में आगजनी, लूटपाट और हिंसा की घटनाएं हुईं. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और हिमा कोहली की पीठ को अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सूचित किया कि तथ्य खोज समिति का हिस्सा रहे दो वकील और एक पत्रकार के खिलाफ उनकी सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर त्रिपुरा पुलिस ने यूएपीए के तहत कार्यवाही की है तथा प्राथमिकी दर्ज करके इन्हें दंड प्रक्रिया संहिता के तहत नोटिस जारी किये हैं. राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के बारे में कथित रूप से सूचना प्रसारित करने के लिए भारतीय दंड संहिता और यूएपीए प्रावधानों के तहत पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी में अधिवक्ता मुकेश और अंसारुल हक और पत्रकार श्याम मीरा सिंह पर आरोप लगाए गए हैं.
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