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क्या बांग्लादेश के बाद अब पाकिस्तान में भी सेना करेगी तख्तापलट, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Jamat - E - Islami In Pakistan: पाकिस्तान के एक पत्रकार राजा रूमी ने स्टॉकहोल्म यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर इश्तियाक अहमद के साथ बांग्लादेश की परिस्थितियों पर बात की.

Jamat - E - Islami In Pakistan: पाकिस्तान के एक पत्रकार राजा रूमी ने स्टॉकहोल्म यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर इश्तियाक अहमद के साथ बांग्लादेश की परिस्थितियों पर बात की.

क्या बांग्लादेश के बाद अब पाक सेना भी कर देगी तख्तापलट

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बांग्लादेश में राजनीतिक उठापटक की दुनिया भर में चर्चा हो रही है खासतौर से दक्षिण एशिया के देशों में तो काफी ज्यादा. पाकिस्तान के एक पत्रकार राजा रूमी ने स्टॉकहोल्म यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर इश्तियाक अहमद के साथ बांग्लादेश की परिस्थितियों पर बात की.
बांग्लादेश में राजनीतिक उठापटक की दुनिया भर में चर्चा हो रही है खासतौर से दक्षिण एशिया के देशों में तो काफी ज्यादा. पाकिस्तान के एक पत्रकार राजा रूमी ने स्टॉकहोल्म यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर इश्तियाक अहमद के साथ बांग्लादेश की परिस्थितियों पर बात की.
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प्रोफेसर इश्तियाक अहमद को दक्षिण एशिया का पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहा जाता है. भारत प्रोफेसर इश्तियाक अहमद का कहना है कि फिलहाल पाकिस्तान में बांग्लादेश जैसी परिस्थितियां तो नहीं होगी और इसकी वजह भी उन्होंने बताई है.
प्रोफेसर इश्तियाक अहमद को दक्षिण एशिया का पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहा जाता है. भारत प्रोफेसर इश्तियाक अहमद का कहना है कि फिलहाल पाकिस्तान में बांग्लादेश जैसी परिस्थितियां तो नहीं होगी और इसकी वजह भी उन्होंने बताई है.
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प्रोफेसर ने बताया कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार बेहद मजबूत थी. देश के हर संस्थाओं की कमान लगभग बांग्लादेश सरकार के हाथ में थी. शेख हसीना की सरकार ने विपक्ष की आवाज को भी पूरी तरह से दबा दिया था, लेकिन इसके खिलाफ बांग्लादेश के छात्र खड़े हुए और परिस्थितियां तेजी से बदल गई. जाहिर है कि छात्रों के पीछे राजनीतिक दल या फिर कुछ अन्य संगठन तो जरूर होंगे, जिनसे उनको मदद मिली होगी.
प्रोफेसर ने बताया कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार बेहद मजबूत थी. देश के हर संस्थाओं की कमान लगभग बांग्लादेश सरकार के हाथ में थी. शेख हसीना की सरकार ने विपक्ष की आवाज को भी पूरी तरह से दबा दिया था, लेकिन इसके खिलाफ बांग्लादेश के छात्र खड़े हुए और परिस्थितियां तेजी से बदल गई. जाहिर है कि छात्रों के पीछे राजनीतिक दल या फिर कुछ अन्य संगठन तो जरूर होंगे, जिनसे उनको मदद मिली होगी.
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बांग्लादेशी सेना द्वारा उठाए गए कदम को देखते हुए पाकिस्तानी सेना भी इस तरह के कदम उठा सकती है. हालांकि, फिलहाल ऐसा होता नजर तो नहीं आ रहा है. पीपीपी और पीएमएलएन सत्ता में है और पाकिस्तान सेना उनसे खुश चल रही है.
बांग्लादेशी सेना द्वारा उठाए गए कदम को देखते हुए पाकिस्तानी सेना भी इस तरह के कदम उठा सकती है. हालांकि, फिलहाल ऐसा होता नजर तो नहीं आ रहा है. पीपीपी और पीएमएलएन सत्ता में है और पाकिस्तान सेना उनसे खुश चल रही है.
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उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अब ऐसी कोई राजनीतिक पार्टी बची नहीं है जिसमें देश में सब कुछ पलटने की हिम्मत हो. प्रोफेसर ने कहा कि इमरान खान की पार्टी भले लोकप्रिय है, लेकिन 9 मई का आंदोलन सेना के रवैये से साफ दिखता है कि पाकिस्तानी आर्मी इमरान खान को दोबारा ऊपर नहीं उठाएगी.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अब ऐसी कोई राजनीतिक पार्टी बची नहीं है जिसमें देश में सब कुछ पलटने की हिम्मत हो. प्रोफेसर ने कहा कि इमरान खान की पार्टी भले लोकप्रिय है, लेकिन 9 मई का आंदोलन सेना के रवैये से साफ दिखता है कि पाकिस्तानी आर्मी इमरान खान को दोबारा ऊपर नहीं उठाएगी.
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उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जमाते इस्लामी की बात हो रही है, लेकिन पाकिस्तान में उनके पास इतनी ताकत नहीं है कि पूरे देश में क्रांति कर सकें. प्रोफेसर का कहना है कि पंजाब और बलूचिस्तान पाकिस्तान सेना के लिए दो अलग-अलग जगह है. उन्होंने साफ कहा है कि फिलहाल पाकिस्तान में किसी भी प्रकार का सैन्य शासन आता नजर नहीं आ रहा है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है. फिलहाल ऐसा होना मुश्किल है.
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जमाते इस्लामी की बात हो रही है, लेकिन पाकिस्तान में उनके पास इतनी ताकत नहीं है कि पूरे देश में क्रांति कर सकें. प्रोफेसर का कहना है कि पंजाब और बलूचिस्तान पाकिस्तान सेना के लिए दो अलग-अलग जगह है. उन्होंने साफ कहा है कि फिलहाल पाकिस्तान में किसी भी प्रकार का सैन्य शासन आता नजर नहीं आ रहा है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है. फिलहाल ऐसा होना मुश्किल है.

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