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जंगलों को बनाया अपना घर, कोई बाहरी आया तो ले लेते हैं जान, जानें खतरनाक माश्को जनजाति के बारे में सबकुछ

Mashco Piro Tribe: पेरू के अमेजन वर्षावन में एक ऐसी जनजाति रहती है, जो दुनिया के संपर्क से बचती है. इसका नाम है माश्को. इन लोगों का बाहरी लोगों के साथ संघर्ष हुआ, जिसमें 2 लोगों की जान चली गई.

Mashco Piro Tribe: पेरू के अमेजन वर्षावन में एक ऐसी जनजाति रहती है, जो दुनिया के संपर्क से बचती है. इसका नाम है माश्को. इन लोगों का बाहरी लोगों के साथ संघर्ष हुआ, जिसमें 2 लोगों की जान चली गई.

माश्को पिरो जनजाति ने दो लकड़हारों को मारा

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अफ्रीकी देश पेरू के अमेजन वर्षावन में एक ऐसी जनजाति रहती है, जो दुनिया के संपर्क से बचती है. इस जनजाति का नाम है माश्को. इस जनजाति के लोगों का बाहरी लोगों के साथ संघर्ष हुआ, जिसमें 2 लोगों की जान चली गई.
अफ्रीकी देश पेरू के अमेजन वर्षावन में एक ऐसी जनजाति रहती है, जो दुनिया के संपर्क से बचती है. इस जनजाति का नाम है माश्को. इस जनजाति के लोगों का बाहरी लोगों के साथ संघर्ष हुआ, जिसमें 2 लोगों की जान चली गई.
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यह झड़प बीते रोज गुरुवार को माद्रे डी डियोस के एक इलाके में हुई, जहां कुछ बाहरी लोग जंगल की लकड़ी काटने के लिए आए हुए थे. जिन पर माश्को जनजाति के सदस्यों ने तीर चलाई और हमला किया, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और दो लोग अब भी लापता है.
यह झड़प बीते रोज गुरुवार को माद्रे डी डियोस के एक इलाके में हुई, जहां कुछ बाहरी लोग जंगल की लकड़ी काटने के लिए आए हुए थे. जिन पर माश्को जनजाति के सदस्यों ने तीर चलाई और हमला किया, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और दो लोग अब भी लापता है.
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पेरू के सांस्कृतिक मंत्रालय ने इस बात की सूचना दी और बताया कि पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. वहीं अग्रणी स्वदेश संगठन फेनामाड ने बताया कि ये संघर्ष परियामानु नदी के पास हुआ, जो कि इस जनजाति का क्षेत्र है.
पेरू के सांस्कृतिक मंत्रालय ने इस बात की सूचना दी और बताया कि पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. वहीं अग्रणी स्वदेश संगठन फेनामाड ने बताया कि ये संघर्ष परियामानु नदी के पास हुआ, जो कि इस जनजाति का क्षेत्र है.
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ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि इस जनजाति के लोगों ने बाहरी लोगों पर हमला किया है. सांस्कृतिक मंत्रालय के अनुसार माश्को पिरो के साथ 2015 और 2022 के बीच भी संघर्ष हुआ था, जिसमें श्रमिकों और निवासियों सहित चार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि इस जनजाति के लोगों ने बाहरी लोगों पर हमला किया है. सांस्कृतिक मंत्रालय के अनुसार माश्को पिरो के साथ 2015 और 2022 के बीच भी संघर्ष हुआ था, जिसमें श्रमिकों और निवासियों सहित चार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
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माश्को पिरो एक ऐसी जनजाति है, जो बाहरी लोगों से बहुत मुश्किल से संपर्क कर पाते हैं. ये लोग माद्रे डी डियोस इलाकों में रहते हैं. इस जनजाति और बाहरी लोगों के बीच टकराव की वजह इस क्षेत्र की लकड़ी है.
माश्को पिरो एक ऐसी जनजाति है, जो बाहरी लोगों से बहुत मुश्किल से संपर्क कर पाते हैं. ये लोग माद्रे डी डियोस इलाकों में रहते हैं. इस जनजाति और बाहरी लोगों के बीच टकराव की वजह इस क्षेत्र की लकड़ी है.
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सर्वाइवल इंटरनेशनल के मुताबिक, कैनालिस ताहुमनु एक कंपनी है, जिसने इस इलाके से लकड़ी निकालने के लिए अपने ट्रकों के लिए यहां 120 मील से ज्यादा बड़ी सड़क बनाई है. इस कंपनी के पास अधिकार है कि यह माद्रे डी डियोस में 1.30.000 एकड़ जंगल से देवदार और महोगनी का खनन कर सकते हैं.
सर्वाइवल इंटरनेशनल के मुताबिक, कैनालिस ताहुमनु एक कंपनी है, जिसने इस इलाके से लकड़ी निकालने के लिए अपने ट्रकों के लिए यहां 120 मील से ज्यादा बड़ी सड़क बनाई है. इस कंपनी के पास अधिकार है कि यह माद्रे डी डियोस में 1.30.000 एकड़ जंगल से देवदार और महोगनी का खनन कर सकते हैं.
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इस जनजाति के लोगों को कुछ ही महीने पहले इलाकों से बाहर देखा गया था, जिसकी वजह यह थी उनके क्षेत्र में लकड़ी काटने वाली कंपनियों का आना जाना. इस जनजाति के कुछ लोगों को उनके क्षेत्र से 93 मील दूर लास पिड्रास नदी के पास देखा गया था.
इस जनजाति के लोगों को कुछ ही महीने पहले इलाकों से बाहर देखा गया था, जिसकी वजह यह थी उनके क्षेत्र में लकड़ी काटने वाली कंपनियों का आना जाना. इस जनजाति के कुछ लोगों को उनके क्षेत्र से 93 मील दूर लास पिड्रास नदी के पास देखा गया था.
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इन जनजातियों के निवास स्थान को नुकसान पहुंचाने की वजह से कई जनजाति दुनिया भर से विलुप्त होने की कगार पर आ गई है सर्वाइवल इंटरनेशनल एनजीओ ने चेतावनी जारी की है कि पेरू सरकार ने कुछ ऐसे कानूनों पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिनसे यह जनजाति जीवित रह सकती हैं. ऐसे में अजनबियों के साथ इनका संपर्क एक बड़े संघर्ष को जन्म दे सकता है
इन जनजातियों के निवास स्थान को नुकसान पहुंचाने की वजह से कई जनजाति दुनिया भर से विलुप्त होने की कगार पर आ गई है सर्वाइवल इंटरनेशनल एनजीओ ने चेतावनी जारी की है कि पेरू सरकार ने कुछ ऐसे कानूनों पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिनसे यह जनजाति जीवित रह सकती हैं. ऐसे में अजनबियों के साथ इनका संपर्क एक बड़े संघर्ष को जन्म दे सकता है

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