पाक और अमेरिकी अफसरों से कतर में मिले थे बांग्लादेशी छात्र, फिर शुरू किया आंदोलन; ISI का भी था बड़ा हाथ
बांग्लादेश में बीते कुछ समय से सियासी बवाल देखने को मिला. इस साल के जून और जुलाई में ढाका समेत कई शहरों में आरक्षण के मुद्दे को लेकर आंदोलन हुआ. हिंसा फैली और 5 अगस्त को शेख हसीना इस्तीफा देकर देश छोड़कर चली गईं. इसके पीछे विदेशी ताकतों के हाथ हैं, ऐसा अंदेशा जाहिर किया जा चुका है.
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View In Appबांग्लादेश में साल 2023 से शेख हसीना की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश शुरू हो चुकी थी, जिसके पीछे पाकिस्तान और अमेरिका के लोग शामिल थे. नॉर्थ ईस्ट न्यूज के मुताबिक इंडियन नेशनल सिक्योरिटी नेटवर्क ने बांग्लादेश और उससे बाहर से मिली सूचनाओं को जोड़ा और देखा कि बांग्लादेश छात्र संगठनों के कोऑर्डिनेटर बने कुछ छात्रों ने एक साल पहले कई बार लगातार पाकिस्तान, दुबई और कतर का दौरा किया था.
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि पाकिस्तान दुबई और कतर की यात्रा के दौरान इन छात्रों ने पाकिस्तान और अमेरिका के खुफिया और सुरक्षा अफसरों से मुलाकात की थी. इन्हीं छात्रों के नेतृत्व में बांग्लादेश में इस साल आंदोलन हुआ, जो हिंसा में बदला और सरकार गिराने में भी यह लोग कामयाब रहे.
बांग्लादेश के आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले दो छात्रों महफूज आलम और मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार में मुख्य सलाहकार और विशेष सहायक के रूप में नियुक्त किया गया है. महफूज आलम उन छात्रों में शामिल था, जो बीते साल विदेश जाकर पाकिस्तान और अमेरिकी अफसर से मिलकर आए हैं.रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन लोगों को अलग-अलग तारीखों से विदेश यात्रा कराई गई है, जिससे बांग्लादेश की खुफिया एजेंसियों को किसी प्रकार का शक न हो. ISI के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल को बांग्लादेश के स्टूडेंट्स के साथ कांटेक्ट करने का काम दिया गया था.
एक भारतीय अधिकारी के अनुसार ISI का यह रिटायर्ड जनरल फर्जी नाम से कम कर रहा था, जिसने 1 साल के अंदर कई बार बांग्लादेश के चक्कर लगाए. ISI लेफ्टिनेंट जनरल ने अप्रैल और सितंबर 2023 में दोहा के एक होटल में छात्रों के एक ग्रुप से मुलाकात की थी. अप्रैल और सितंबर 2023 के बीच अमेरिकी विदेश विभाग और विशेष रूप से तत्कालीन राजदूत पीटर हास बांग्लादेश की शेख हसीना की सरकार पर निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर दबाव बना रहे थे.
भारतीय सुरक्षा अधिकारियों को यह भी संदेह है कि उस होटल में अमेरिकी नागरिक भी ठहरे हुए थे, जिस होटल में बांग्लादेशी छात्र रुके थे और दोनों के बीच बातचीत भी हुई थी. इस बात का भी संदेह जताया जा रहा है कि बांग्लादेश के सामाजिक विकास क्षेत्र के एक जाने-माने व्यक्ति ने भी इन छात्रों से वहां मुलाकात की थी जो अब अंतरिम सरकार के महत्वपूर्ण पद पर बैठा है.
भारतीय सुरक्षा अधिकारियों का यह भी कहना है कि उन्हें इन छात्रों के बैठकों की सूचना तो थी, लेकिन यह हसीना सरकार को गिराने के जैसे ऑपरेशन की होगी, ये वह नहीं समझ सके. एक अधिकारी ने यह भी बताया कि शेख हसीना को इस साल मई के महीने में छात्रों और यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर से जुड़े अमेरिकी ऑपरेशन के बारे में बताया गया था, लेकिन वह भी इन साजिशों को समझने में नाकाम रहीं.
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