भारत के अंडमान के लिए बड़ा खतरा, कंबोडिया के रीम नेवल बेस पर युद्धपोत तैनात करने वाला है चीन
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चीन कंबोडिया में अपने युद्धपोतों को तैनात करने वाला है. इस बात का उसने ऐलान भी कर दिया है. चीन ने कहा है कि वह कंबोडिया के रीम नौसैनिक अड्डे पर दो युद्धपोतों को तैनात करेगा. इसके लिए चीन ने खुद कंबोडिया से अनुरोध भी करवा लिया है, जिससे दूसरे देश उसपर उंगली न उठा सकें.
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कंबोडिया की बात करें तो वह वर्तमान में चीन के कर्ज में दबा हुआ है. यही कारण है कि वहां की सरकार चीन के इशारों पर काम कर रही है. कंबोडियाई की सरकार के अनुरोध में कहा गया है कि उन्होंने चीन के दो युद्धपोतों को रीम नौसैनिक अड्डे पर तैनात करने की मांग की है, जो वहीं मौजूद भी हैं. चीन के इस कदम से भारत के लिए खतरा और ज्यादा बढ़ जाएगा.
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कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक जारी बयान में यह कहा गया कि चीन के यह युद्धपोत शांति और सुरक्षा बनाए रखेंगे इसी के साथ-साथ बचाओ मिशन संचालित करने में भी कंबोडिया की मदद करते रहेंगे. यही नहीं इसका उद्देश्य कंबोडिया की क्षमताओं को और भी ज्यादा मजबूत करना है.
थाईलैंड की खाड़ी के किनारे बसे रीम नौसैनिक अड्डे को चीन ने 99 साल की लीज पर लिया है. इस अड्डे को अपने युद्धपोत और पनडुब्बियों को तैनात करने के लिए अपग्रेड भी किया हुआ है. हालांकि, चीन ने पहले यह कहा था कि वह कंबोडिया के लिए इसे अपग्रेड कर रहा है और उसे खुद के युद्धपोतों की तैनाती नहीं करनी है.
कंबोडिया के इस रीम नेवल बेस से चीन वियतनाम की घेराबंदी के साथ-साथ दक्षिण चीन सागर में भी अपनी उपस्थिति को और ज्यादा बढ़ा सकता है. यही नहीं चीनी नौसेना मलक्का जलडमरूमध्य से गुजरने वाले दूसरे देशों के युद्धपोतों पर भी नजर बनाए रखेगा.
कंबोडिया का यह नौसैनिक अड्डा भारत के द्वीप समूह अंडमान निकोबार से मात्र 1200 किलोमीटर की दूरी पर है. ऐसे में चीन भारत के अंडमान की जासूसी भी कर सकता है. यही नहीं मलक्का जलडमरूमध्य के जरिए चीन बेहद तेजी से हिंद महासागर में भी प्रवेश कर सकता है.
थाईलैंड भी कंबोडिया के इस बंदरगाह के पास से अपनी क्रा कैनाल परियोजना पर काम कर रहा है. अगर थाईलैंड इसमें सफल हो जाता है तो चीन को एक और रास्ता मिल जाएगा हिंद महासागर में प्रवेश करने का, जो कि भारतीय हितों के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है.
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