मालदीव के बाद अब बांग्लादेश ने दिखाया रंग, कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन में नहीं रहा मौजूद; भारत की बढ़ेगी टेंशन
कोलंबो में 30 सितंबर को सुरक्षा सम्मेलन हुआ. ये सम्मेलन हिंद महासागर क्षेत्रों के कई खतरों का मुकाबला करने के लिए हर साल आयोजित किया जाता है, जिसमे हिंद महासागरीय क्षेत्र के देशों के सुरक्षा सलाहकार यानी की NSA शामिल होते हैं. इस साल मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व में मालदीव भी शामिल हुआ.
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View In Appइस साल कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन में भारत, श्रीलंका, मॉरीशस शामिल हुए लेकिन राजनीतिक उठापटक से जूझ रहा बांग्लादेश से कोई भी मौजूद नहीं रहा.
कोलंबो में हुए सुरक्षा सम्मेलन के चार्टर और समझौता ज्ञापन पर श्रीलंका के राष्ट्रपति के NSA सागला रत्नायका, मालदीव के इब्राहिम लतीफ, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और श्रीलंका में मॉरीशस के उच्चायुक्त हेमडोयल दिलिम ने हस्ताक्षर किए. बांग्लादेश से तो कोई शामिल नहीं हुआ मगर सेशेल्स शामिल हुआ था.
कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य होता है कि समुद्र की सुरक्षा हो, संरक्षण हो, आतंकवाद और कट्टरपन का मुकाबला किया जा सके. मानवीय सहायता, साइबर सुरक्षा इसके अलावा हथियारों और मानव तस्करी जैसे अपराधों का मुकाबला करने के लिए यह सम्मेलन खासतौर से रखा जाता है.
इस सम्मेलन में हिंद महासागर की प्रमुख देश अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानून आतंकवाद, कट्टरपंथ, साइबर सुरक्षा खतरों और हिंसक उग्रवाद को लेकर जानकारी देंगे. सम्मेलन के सचिवालय की बात करें तो वह श्रीलंका के कोलंबो में ही स्थित होगा और इसके महासचिव महत्वपूर्ण सुरक्षा ग्रुप के संयोजक की तरह काम करेंगे.
हिंद महासागर क्षेत्र के प्रमुख कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन में सदस्य हैं, लेकिन इन सदस्य देशों के बीच समुद्री सुरक्षा बढ़ेगी क्योंकि भारत की मोदी सरकार अन्य देशों के बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप की क्षमता निर्माण के सहायता देने के लिए कमिटेड है. वहीं मुहम्मद मुइज्जु की बात करें तो मालदीव सुरक्षा पहल में शामिल होने से वह आईओआर के बाहर किसी भी देश से नहीं सिर्फ भारत से सहयोग चाहते हैं.
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