जानें कौन हैं शेर बहादुर देउबा, जो होंगे नेपाल के नए प्रधानमंत्री, देखें तस्वीरें
नेपाल के अगले प्रधानमंत्री नेपाल कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादर देउबा होंगे. नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए सोमवार को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को निर्देश दिया कि नेपाली कांग्रेस प्रमुख देउबा को मंगलवार तक प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाए और पांच महीने में दूसरी बार प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया जाएगा.
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View In Appशेर बहादुर देउबा साल 1995 से लेकर 1997 तक और उसके बाद साल 2001 से लेकर 2002 तक फिर साल 2004 से लेकर 2005 तक पीएम रह चुके हैं. प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा के नेतृत्व वाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति भंडारी का निचले सदन को भंग करने का फैसला असंवैधानिक कृत्य था. इसे वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता के लिये बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है, जो समय पूर्व चुनावों की तैयारी कर रहे थे.
पीठ ने मंगलवार तक देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का परमादेश जारी किया. देउबा (74) इससे पहले चार बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं. अदालत ने प्रतिनिधि सभा का नया सत्र 18 जुलाई की शाम पांच बजे बुलाने का भी आदेश दिया है.
प्रधान न्यायाधीश राणा ने कहा कि पीठ इस नतीजे पर पहुंची है कि जब सांसद संविधान के अनुच्छेद 76(5) के तहत नये प्रधानमंत्री के निर्वाचन के लिये मतदान में हिस्सा लेते हैं, तब पार्टी व्हिप लागू नहीं होता. संविधान पीठ में उच्चतम न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश- दीपक कुमार करकी, मीरा खडका, ईश्वर प्रसाद खातीवाड़ा और डॉ. आनंद मोहन भट्टराई - शामिल थे. पीठ ने पिछले हफ्ते मामले में सुनवाई पूरी की थी.
राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर 275 सदस्यीय निचले सदन को 22 मई को पांच महीने में दूसरी बार भंग कर दिया था और 12 व 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी. चुनावों को लेकर अनिश्चितता के बीच निर्वाचन आयोग ने पिछले हफ्ते मध्यावधि चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा की थी. नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन द्वारा दायर याचिका समेत करीब 30 याचिकाएं राष्ट्रपति द्वारा सदन को भंग किए जाने के खिलाफ दायर की गई थीं.
विपक्षी दलों के गठबंधन की तरफ से भी एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर 146 सांसदों के हस्ताक्षर थे और इसमें संसद के निचले सदन को फिर से बहाल करने तथा देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किये जाने की मांग की गई थी. नेपाल पिछले साल 20 दिसंबर को तब सियासी संकट में घिर गया था, जब सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में वर्चस्व को लेकर मची खींचतान के बीच प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति भंडारी ने संसद के निचले सदन को भंग कर दिया था और 30 अप्रैल तथा 10 मई को नए चुनाव कराने की घोषणा की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 23 फरवरी को प्रधानमंत्री ओली को झटका देते हुए भंग की गई प्रतिनिधि सभा को बहाल करने के आदेश दिए थे.
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