Mecca: 120 किलो सोना तो 100 किलो चांदी से तैयार हुआ किस्वाह, बढ़ा रहा अल्लाह के घर की शान
आपने मक्का में काबा पर काले रंग का खूबसूरत सा कवर देखा होगा. यह कवर किस्वाह कहलाता है.
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View In Appपहले यह हरे और सफेद रंग का होता था. आगे अब्बासी दौर में यह काले रंग में इस्तेमाल होने लगा, तब से अब तक यह उसी रंग में चढ़ाया जाता है.
किस्वाह को अरबी में कपड़ा या फिर ओढ़नी कहते हैं. यह नरम रेशम का कपड़ा होता है, जिस पर सोने और चांदी का वर्क होता है.
सऊदी अरब के किंग अब्दुल अजीज कॉम्पलेक्स (बड़ी फैक्ट्री) में लगभग 200 कारीगर बड़ी मेहनत से इसे तैयार करते हैं.
किस्वाह को बनाने के लिए सबसे पहले रेशम के कपड़े को काले रंग से रंगा जाता है. फिर उस पर सोने और चांदी के महीन धागों से महीन कारीगरी की जाती है.
बाद में कारीगर सोने और चांदी के धागे से आयतें उकेरते हैं. यह इसके बाद पांच हिस्सों में बनकर तैयार होता है.अल्लाह के घर पर सजने वाला यह कवर 47 कपड़ों को जोड़कर रेडी किया जाता है.
रोचक बात है कि इस बार किस्वाह बनाने में 120 किलो सोना और 100 किलो चांदी इस्तेमाल की गई है. दरअसल, इतने सोने और चांदी को बारीक धागों में निकालकर किस्वाह में लगाया गया है.
किस्वाह सबसे महंगा, बड़ा और शानदार कवर माना जाता है, जिसका वजन इस बार 850 किलो के आस-पास है. चूंकि, यह कपड़ों के कुछ हिस्सों में होता इसलिए इसे क्रेन की मदद से एक-एक करके काबा पर चढ़ाया जाता है. काबा के दरवाजे पर कवर सबसे बाद में चढ़ाया जाता है.
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