Muslim Burial Traditions: दुनियाभर के मुस्लिम शवों का दफनाने से जुड़े किन नियमों का करते हैं पालन, जानें
कई मुसलमानों का मानना है कि मौत से ठीक पहले इस्लाम स्वीकार करने और शाहदाह कहने से मरने वाला व्यक्ति जन्नत में जाता है.
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View In AppHowStuffWorks की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया के मुसलमान में मृत व्यक्तियों को दफनाने का कल्चर है. मुसलमान लोग दफनाने से जुड़े 10 नियमों का पालन करते हैं.
जब कोई मुस्लिम व्यक्ति मरता है तो उसकी आंखें बंद करने, जबड़े पर पट्टी बांधने और शरीर को साफ चादर से ढकने की प्रथा है. मृत व्यक्ति के मुंह को मक्का की दिशा की ओर रखी जाती है.
इस्लाम धर्म में जोर से रोना गलत माना जाता है. मुसलमानों का मानना है कि व्यक्ति की आत्मा इन चीखों को सुन सकती है और उनकी आत्मा को ठेस पहुंचती हैं. मुसलमानों में जनाजे से पहले मृतक का परिवार मृत शरीर को धोता है. इसमें धोने वाले वाले लोग भी मुस्लिम होने चाहिए और मृतक के समान लिंग के होने चाहिए.
मुस्लिम पुरुष और महिला को कफन पहनने के अलग-अलग नियम हैं. एक पुरुष मुस्लिम शव को लपेटने के लिए तीन सफेद चादरें और चार रस्सियों का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं महिलाओं को एक ढीली-ढाली बिना आस्तीन की पोशाक पहनाई जाती है. सिर को ढ़का जाता है.
जनाजे में भाग लेने वाले मुसलमान लोग मक्का की ओर मुंह करके जनाजे की नमाज अदा करते हैं. अंतिम संस्कार में शामिल मुसलमान लोग पैदल कब्रिस्तान तक शव के साथ जाते हैं. अंतिम यात्रा के जोर से रोने या कुरान पढ़ने की अनुमति नहीं है.
एक मुस्लिम व्यक्ति के शव को कब्रिस्तान में दफनाया जाता है. मृत शरीर को दफनाने के दौरान किसी भी महिला या बच्चे को कब्र स्थल पर जाने की अनुमति नहीं होती है. मुस्लिम कब्रिस्तान में मृत शरीर को दफनाने वाले जगह को चिन्हित करते हैं.
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