Muslims population: क्या 2050 में भारत में मुसलमानों की संख्या इस्लामिक देशों से भी ज्यादा होगी, रिसर्च में दावा
प्यू रिसर्च के मुताबिक, दुनिया की धार्मिक रूपरेखा तेजी से बदल रही है. इसके पीछे की मुख्य वजह प्रजनन दर, युवा आबादी के आकार में अंतर और लोगों द्वारा धर्म परिवर्तन को बताया गया है.
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View In Appप्यू की रिपोर्ट के मुताबिक अगले चार दशकों में, ईसाई सबसे बड़े धार्मिक समूह बने रहेंगे, लेकिन इस दौरान इस्लाम अन्य धर्मों की तुलना में तेजी से बढ़ेगा. अगर ऐसी ही स्थिति बनी रही तो साल 2050 तक दुनिया भर में मुसलमानों की संख्या ईसाइयों की संख्या के लगभग बराबर हो जाएगी.
नास्तिक, अज्ञेयवादी और अन्य लोग जो किसी भी धर्म से संबद्ध नहीं हैं, ऐसे लोगों की संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों में बढ़ रही है. साल 2050 में वैश्विक बौद्ध आबादी लगभग उतनी ही होगी जितनी 2010 में थी, जबकि हिंदू और यहूदी आबादी आज की तुलना में बड़ी होगी.
संयुक्त राज्य अमेरिका में, ईसाइयों की आबादी 2010 की तुलना में तीन-चौथाई से घटकर 2050 में दो-तिहाई रह जाएगी. अमेरिका में यहूदी धर्म अब सबसे बड़ा गैर-ईसाई धर्म नहीं रहेगा. अमेरिका में धर्म के आधार पर यहूदी के रूप में पहचान रखने वाले लोगों की तुलना में मुसलमानों की संख्या अधिक होगी.
2010 और 2050 के बीच, विश्व की कुल जनसंख्या 35 फीसदी की वृद्धि के साथ 9.3 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है. इसी दौरान उच्च प्रजनन दर की वजह से मुसलमानों की युवा आबादी अन्य धर्मों के मुकाबले तेजी से आगे बढ़ेगी.
यूरोप में, मुसलमान कुल जनसंख्या का 10 प्रतिशत होंगे. साल 2050 में भारत में हिंदू बहुमत बरकरार रहेगा, लेकिन इंडोनेशिया को पीछे छोड़ते हुए दुनिया के किसी भी देश की तुलना में यहां मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा होगी.
प्यू रिसर्च के मुताबिक साल 2050 में विश्व के प्रत्येक 10 ईसाइयों में से चार उप-सहारा अफ्रीका में रहेंगे. ये प्यू रिसर्च सेंटर ने दुनियाभर के लोगों की बढ़ती आबादी का अनुमान लगाया है. इसी आधार पर वैश्विक धार्मिक रुझानों को उजागर किया है.
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