पाकिस्तान गाय की मदद से ऐसा क्या काम कर रहा जिसकी दुनिया भर में होने लगी चर्चा, क्या है मकसद
पाकिस्तान में गाय के गोबर का उपयोग एक अनोखे तरीके से किया जा रहा है. कराची शहर में ग्रीन बस रैपिड ट्रांजिट (BRT) नामक बस नेटवर्क में 200 से अधिक बसें गाय के गोबर से बनी बायो मीथेन गैस पर चल रही हैं.
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View In Appयह प्रोजेक्ट वायु और जल प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित हो रहा है. इस परियोजना के तहत गाय के गोबर को एक प्रक्रिया से गुजारा जाता है, जिसमें बैक्टीरिया के जरिए मीथेन गैस को अलग किया जाता है.
इस प्रक्रिया में अन्य गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन आदि भी उत्पन्न होती हैं. मीथेन को सीएनजी टैंकों में स्टोर कर बसों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
इस परियोजना को संयुक्त राष्ट्र समर्थित ग्रीन क्लाइमेट फंड और एशियाई विकास बैंक की आर्थिक सहायता प्राप्त है. ग्रीन क्लाइमेट फंड ने इस प्रोजेक्ट के लिए 49 मिलियन डॉलर की राशि दी है. कुल प्रोजेक्ट की लागत लगभग 583 मिलियन डॉलर है.
गाय के गोबर से बनी बायो मीथेन गैस शून्य प्रदूषण (Zero Emission) का दावा करती है. गोबर और मूत्र जो नदियों और समुद्र में बहाया जाता था, अब इसका उत्पादक उपयोग हो रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में हर दिन 3,200 टन गोबर समुद्र में बहाया जाता था. इस प्रक्रिया से पानी की बर्बादी भी कम हो रही है.
ये बसें 30 किलोमीटर के कॉरिडोर पर चलती हैं. 25 नए बस स्टेशन बनाए गए हैं, जिनमें आधुनिक सुविधाएं जैसे पेडेस्ट्रियन क्रॉसिंग, साइकिल लेन और बाइक किराए पर लेने की सुविधा शामिल है. बसें हजारों यात्रियों को रोज़ाना सुविधा दे रही हैं.
कराची में सफल संचालन के बाद, ये ग्रीन बसें जल्द ही लाहौर, मुल्तान, पेशावर और फैसलाबाद जैसे शहरों में भी शुरू की जाएंगी.
पाकिस्तान का यह प्रोजेक्ट दुनिया के लिए एक उदाहरण बन रहा है. कराची जैसे शहरों में बड़ी डेयरियों से गाय के गोबर को प्लांट तक पहुंचाने के लिए बस नेटवर्क और डेयरी फार्मों के बीच समझौता हुआ है.
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