US और चीन भी नहीं रुकवा पाएंगे रूस-यूक्रेन युद्ध? 'पुतिन और जेलेंस्की से बात करने के लिए भारत ही...', जर्मनी के राजदूत का दावा
भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा कि उनके देश का हमेशा से यह कहना रहा है कि रूस-यूक्रेन विवाद के मामले में भारत दोनों पक्षों की बात सुनने के लिए बहुत अच्छी स्थिति में है. एकरमैन ने कहा कि वह नहीं जानते कि नई दिल्ली का क्या करने का इरादा है, लेकिन बर्लिन किसी भी तरह की बातचीत का स्वागत करेगा.
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View In Appदो साल से ज्यादा समय से चल रहे समाधान निकालने में भारत की भूमिका के बारे में पूछे गए एक सवाल पर एकरमैन ने कहा, 'हम सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री (मोदी) कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से वापस आ रहे हैं. वह रूसी राष्ट्रपति सहित कई नेताओं से बातचीत कर रहे हैं और द्विपक्षीय वार्ता के एजेंडे को जाने बिना...मुझे यकीन है कि यह एजेंडे में होगा और चांसलर बहुत उत्सुक होंगे कि इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री क्या कहते हैं.'
उन्होंने कहा, 'हमने हमेशा कहा है कि भारत दोनों पक्षों की बात सुनने और दोनों पक्षों को ध्यान में रखने के लिए बहुत अच्छी स्थिति में है. हमने प्रधानमंत्री को कीव जाते देखा है... मुझे नहीं पता कि भारत क्या करने का इरादा रखता है, लेकिन हम किसी भी तरह की बातचीत का स्वागत करेंगे.'
यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री मोदी और शोल्ज के बीच बातचीत में क्या यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष का मुद्दा आएगा, उन्होंने कहा, 'मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं, हालांकि मुझे द्विपक्षीय बैठक का एजेंडा नहीं पता, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि वे भू-राजनीति पर चर्चा करेंगे. चीजों पर भारत के दृष्टिकोण को सुनना अच्छा रहेगा.'
उन्होंने कहा, 'हमारे पास चीजों पर एक यूरो-केंद्रित दृष्टिकोण है, भारत इस दृष्टिकोण में बहुत कुछ जोड़ सकता है. मुझे पता है कि चांसलर और प्रधानमंत्री के बीच इन सवालों पर बहुत अच्छी बातचीत है, और मुझे यकीन है कि ये... (बैठक) के दौरान चर्चा में आएंगे.' जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज की भारत यात्रा से पहले जर्मनी के राजदूत एकरमैन ने यहां अपने आवास पर मीडिया से बातचीत की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चांसलर शोल्ज 25 अक्टूबर को सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (IGC) की सह-अध्यक्षता करेंगे. आईजीसी एक संपूर्ण सरकारी ढांचा है, जिसके तहत दोनों पक्षों के मंत्री अपने-अपने जिम्मेदारी वाले क्षेत्रों में चर्चा करते हैं और अपने विचार-विमर्श के परिणामों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री और चांसलर को देते हैं.
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