वैज्ञानिकों को मिल गया धरती के नीचे दबे खजाने का रास्ता! जान लेंगे सोना बनने के पीछे का पूरा फंडा
नेचर जियोसाइंस में पब्लिश हुई रिसर्च 'गोल्ड नगेट पैराडॉक्स' बताती है कि सोने के बड़े टुकड़े कैसे बनकर तैयार होते हैं. इस प्रक्रिया पर होने वाले भूकंप के असर को भी बताया गया है.
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View In Appमोनाश यूनिवर्सिटी के प्रयोगों ने भूकंप और सोना बनने की प्रक्रिया पर कई फैक्ट भी पेश किए हैं, जो इस बात का सबूत है कि सोना कैसे बनता है.
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक मोनाश यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के दौरान भूकंपीय तनाव की नकल करते हुए क्वार्ट्ज से सोना निकाला. टेंशन से बने इलेकट्रोमैगनेटिक एरिया ने क्वार्ट्ज की सतह पर छोटे-छोटे सोने के कण छोड़ दिए.
रिसर्चरों का मानना है कि पीजोइलेक्ट्रिक वोल्टेज सोने के क्वार्ट्ज में तैरते हुए दिखने का कारण है. भूकंप के दौरान क्वार्ट्ज में दरारें पड़ जाती हैं. इन दरारों में गहराई में सोना बनता है.
भूकंप का ज्यादा दबाव क्वार्ट्ज में इलेकट्रोमैगनेटिक एरिया बनाता है. यह एरिया सोने के निर्माण के लिए जरूरी है, जिसे पीजोइलेक्ट्रिक इफेक्ट कहते हैं.
स्टडी से पता चलता है कि कैसे सोने के बड़े टुकड़े बनते हैं. यह क्वार्ट्ज में सोने के जटिल जालों पर भी जानकारी देती है. यह खोज सोने के भूकंपीय उत्पत्ति पर प्रकाश डालती है कि कैसे भूकंप के झटकों से जमीन के नीचे सोना बन रहा है.
एक्सपर्ट का कहना है स्टडी की मदद से नए सोने के भंडार खोजने में भी मदद कर सकती है. यह पीजोइलेक्ट्रिक इफेक्ट के बारे में ज्यादा जानने का नया रास्ता भी खोलती है.
क्वार्ट्ज धरती के नीचे मिलने वाला एक क्रिस्टलीय खनिज है जो सिलिकॉन और ऑक्सीजन से बनता है. क्वार्ट्ज एक ऐसी प्रक्रिया के जरिए सोने में बदल सकता है, जो भूकंप और हाइड्रोथर्मल तरल पदार्थों से संचालित होती है.
सोना के भंडार की बात की जाए तो दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड रिजर्व अमेरिका के पास है. अमेरिका के पास 8,133 टन सोना जमा है. वहीं भारत इस लिस्ट में नौवें नंबर पर है. भारत के सरकारी खजाने में 840 टन गोल्ड है.
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