Pakistan PM Shehbaz Sharif: पाकिस्तान की दगाबाजी, हर बार अमन की बात और भयंकर साजिश, क्या है शहबाज शरीफ का प्लान?
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने अल अरबिया के इंटरव्यू में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दोनों देशों के बीच के हर विवाद को बैठ कर सुलझाने की बात कही थी, लेकिन इस बयान के एक दिन बाद ही पाकिस्तान अपने असली रंग में उतर आया. पाकिस्तानी पीएमओ ऑफिस ने बगैर शर्त बातचीत के प्रस्ताव में कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बहाल करने की शर्त जोड़ दी. इस बार भी दगाबाज पाकिस्तान की अमन की बात के पीछे जंग की मंशा तो नहीं. (फोटो - ट्विटर हैंडल शहबाज शरीफ)
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View In Appभारत और पाकिस्तान की 1999 कारगिल की जंग पाकिस्तान के नापाक मंसूबे का सबूत है. पाक की दगाबाजी से भारत को ये अघोषित, अनौपचारिक जंग लड़नी पड़ी थी. भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ से फरवरी में लाहौर शिखर सम्मेलन में मुलाकात की थी और एक अहम शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. लेकिन, पाकिस्तान ने कुछ महीने बाद कारगिल की जंग शुरू कर दी थी.
2001 में तत्कालीन पाक पीएम परवेज मुशर्रफ भारत के दौरे पर आए. तब दोनों देशों के बीच लंबे वक्त से चले आ रहे मुद्दों को हल करने के मकसद से आगरा घोषणा पत्र पर साइन किए. इसमें सीमा पार आतंकवाद, कश्मीर समस्या जैसे मुद्दों को हल करने और परमाणु गोला-बारूद में भारी कमी करने का प्रस्ताव रखा गया था. हैरानी की बात है कि तब पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी गतिविधियों में अचानक बढ़ोतरी दर्ज की गई. इसके बाद कई बार शांति वार्ता की पहल के कई उदाहरण हैं, लेकिन नतीजा सिफर रहा.(फोटो- twitter.com/P_Musharraf/status)
अक्टूबर 2001 में आतंकवादियों ने कश्मीर विधानसभा भवन को निशाना बनाया. इस हमले में में 38 लोग मारे गए थे. इसी साल 13 दिसंबर को भारत की संसद पर आतंकवादी हमला हुआ इसमें 14 लोग मारे गए. पाक ने अपनी करतूतों से जता दिया कि अमन-चैन की बात के पीछे कितना बड़ा धोखा है(फोटो- पीटीआई)
पाक के प्रायोजित ये आतंकी हमले थमने के नाम नहीं ले रहे हैं. 2000 में अनंतनाग के दो गुरुद्वारों में आंतकी हमलों में 36 सिख मारे गए. उस दौरान यूएस के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत के दौरे पर थे. (फाइल फोटो)
2007 में समझौता एक्सप्रेस में हुआ ब्लास्ट पाकिस्तान की नापाक मंशा का एक और सबूत हैं. इन विस्फोटों में 10 भारतीय नागरिकों और 15 अज्ञात लोगों की मौत हो गई थी. ये विस्फोट शांति वार्ता के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी की भारत यात्रा से ठीक पहले हुआ.राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि ये विस्फोट भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालने के मकसद के तहत किया गया था. (फोटो -Getty)
भारत को 26 नवंबर, 2008 को सबसे घातक आतंकवादी हमले का सामना करना पड़ा.तब लश्कर-ए-तैयबा के 10 पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने मुंबई की अलग-अलग जगहों को हमले से दहला दिया था. इसमें लगभग 164 लोगों मारे गए थे. दिलचस्प बात यह है कि हमले से ठीक पहले पाकिस्तान एक बार फिर इलाके में शांति की बात कर रहा था.मुंबई हमले के एक महीने पहले भारत ने छह दशकों में पहली बार कश्मीर के पाकिस्तानी हिस्से के लिए एक व्यापार मार्ग भी खोला था. इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता रद्द कर दी थी.(फोटो -Getty)
पाकिस्तान कीओर से भारत को दिए गए प्रस्ताव के ठीक बाद 2013 में पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई समर्थित आतंकवादियों ने पूर्वी अफगानिस्तान के शहर जलाबाद में भारतीय वाणिज्य दूतावास को निशाना बनाया. 2016 में इस्लामी आतंकवादियों के एक बड़े सशस्त्र समूह ने भारतीय वायु सेना के पश्चिमी वायु कमान के हिस्से पठानकोट वायु सेना स्टेशन पर हमला किया. इस हमले की वजह से शांति वार्ता टूट गई जो अब तक काफी हद तक अनसुलझी रही. संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि दुनिया पाकिस्तान को 'आतंकवाद के केंद्र' के तौर पर देखती है. ये देश अभी भी आतंकी समूहों को प्रायोजित करता है. उसे अपनी हरकतों को साफ करना चाहिए और एक अच्छा पड़ोसी बनने की कोशिश करनी चाहिए. (फोटो-twitter.com/DrSJaishankar/)
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