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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UAE से भी 'पुराना' है यह पाकिस्तानी: 102 रुपए की टिकट से 3 दिन में पहुंचा था दुबई, संघर्ष के साथ 60 साल में यूं बदलते देखी सिटी
न्यूज वेबसाइट 'खलीज टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, शेर अकबर अफरीदी को यूएई में रहते और काम करते हुए लगभग 60 साल होने वाले हैं. उनका सफर 1964 में तब शुरू हुआ था, जब वह पाकिस्तान के कराची से एमवी द्वारका शिप के जरिए सिर्फ 102 रुपए के टिकट से चले थे. वह उम्र महज 17 साल के थे. शेर अकबर अफरीदी के मुताबिक, ट्रूशियल स्टेट्स के लिए तब एयर कनेक्टिविटी नहीं थी. पानी वाले जहाज के जरिए ही सफर करना पड़ता था और तब पहुंचने में तीन दिन लगते थे. खाड़ी क्षेत्र में उन दिनों भारतीय मुद्रा भी इस्तेमाल की जाती थी.
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View In Appपिता की मदद से वीजा पाकर शेर अकबर अफरीदी जब कराची से यूएई आ रहे थे, तब उन्हें समुद्र से ट्रूशियल स्टेट्स नजर आए थे. अनुभव साझा करते हुए वह बोले, डेरा में मुझे दूर से कुवैती मस्जिद नजर आई थी और फिर उन्हें दुबई नजर आया था. आज दुबई का विकास बेजोड़ है, जो कि अंतरिक्ष से भी नजर आ सकता है. मैं जब पहली बार आया था तब दुबई में पैदल चला जा सकता था पर अब छोटी दूरी भी वहां बड़ी लंबी लगती है. ऐसा इसलिए क्योंकि वहां पर जबरदस्त विकास हुआ है और विश्व स्तर का इंफ्रास्ट्रक्चर बना है.
दुबई आकर ढेर सारी चुनौतियों के बीच शेर अकबर अफरीदी ने कंस्ट्रक्शन सेक्टर में नौकरी खोजी. वह तब एक इंजीनियर के साथ काम करते थे. उन्हें उस दौरान 150 रुपए प्रतिदिन मिलते थे और तब यह रकम अच्छी-खासी मानी जाती थी. हालांकि, दिन में थोड़ा और काम करके वह कभी-कभी 400 रुपए तक भी कमा लेते थे. 'खलीज टाइम्स' से बातचीत के दौरान वह बोले, मैंने बेहद कम दिहाड़ी के लिए बहुत काम किया पर मेरी मेहनत रंग लाई. यूएई की पहली कंक्रीट की बनी सड़क (बनियास से पुराने हवाई अड्डे तक) बिछाने में मैं भी शामिल था.
स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते आगे जब शेर अकबर अफरीदी गर्मी नहीं बर्दाश्त कर पा रहे थे तब लुइजी नाम के इंजीनियर (जिसे निर्माण कार्य देखने के लिए तैनात किया गया था) ने उन्हें असिस्टेंट बना लिया. शेर अकबर अफरीदी इसी वजह से यूएई के कई शासकों से मिलने का मौका मिला. उन्होंने बताया, लुइजी के साथ मुझे शेख जायेद, शेख शाखबाउत (अबू धाबी के तत्कालीन शासक), शेख रशीद और अन्य लोगों से मिलने का मौका मिला. शेर अकबर अफरीदी अबू धाबी के पहले कंक्रीट एयरस्ट्रिप कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा भी रहे और इस दौरान उनकी शेख जायेद और शेख शाखबाउत से भेंट हुई थी.
कंस्ट्रक्शन कंपनी में नौकरी छोड़ने के बाद शेर अकबर अफरीदी रीटेल सेक्टर में चले गए. उन्होंने बताया, माजिद अल फुत्तैम ने मुझे अपने धंधे में नौकरी ऑफर की थी. उनका तब घड़ी और इलेक्ट्रॉनिक स्टोर था. शेख रशीद का ऑफिस भी वहां से पास था. मैं वहां अक्सर पानी मांगने जाता था लेकिन वह मुझे अरबी कॉफी पिलाया करते थे. वह मुझे खान नाम से पुकारा करते थे. वह सच में लोगों के नेता थे. बाद में शेर अकबर अफरीदी ने पिता के साथ टेक्सटाइल लेकर घड़ियों और अन्य चीजों में हाथ आजमाया. हालांकि, यहां उन्हें सफलता नहीं मिली और झटके खाने के बाद उन्होंने कारों की धुलाई के बिजनेस की ओर ध्यान दिया.
विभिन्न कामों को करने के बाद शेर अकबर अफरीदी ने 1998 में पर्यटन क्षेत्र का रुख किया और उन्होंने एक ट्रैवल एजेंसी खोली. दो दशकों के बाद भी वह इस एजेंसी को सक्रिय होकर चलाते हैं. हफ्ते में चार बाद दफ्तर पहुंचकर वह इससे जुड़ा काम देखते हैं. हालांकि, वह इसके अलावा समाजसेवा भी करते हैं. उन्होंने इस बारे में खलीज टाइम्स को जानकारी दी, पाकिस्तान में आए भूकंप के बाद मैंने पीड़ितों को मदद पहुंचाई थी. दुबई में हजारों कैदियों को उनके घर पहुंचने में भी मैं सहायता कर चुका हूं. देना (समाज को...मदद के संदर्भ में) भी जरूरी है.
यूएई एंबेसी की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, छह अमीरातों (Abu Dhabi, Dubai, Sharjah, Umm al-Quwain, Fujairah and Ajman) के शासकों के बीच एक करार हुआ था, जिसके बाद यह तय हुआ था कि इस फेडरेशन को यूनाइटेड अरब ऑफ एमाइरेट्स/संयु्क्त अरब अमीरात के नाम से जाना जाएगा. दो दिसंबर, 1971 को इसकी आधिकारिक तौर पर स्थापना हुई थी.
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