किसने बनाया मंगल ग्रह पर ये स्माइली फेस? यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सैटेलाइट ने ली शानदार तस्वीरें; देखें
मंगल ग्रह की सतह पर स्माइली फेस देखने को मिला है, जिसे देख यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के वैज्ञानिक हैरान हो गए हैं. इस खोज को ESA ने दुनिया के साथ शेयर भी किया है. आप सोच रहे होंगे कि मंगल ग्रह पर स्माइली फेस कहां से आया?
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View In Appये स्माइली फेस और कुछ नहीं बल्कि नमक के भंडार हैं…. जी हां! वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मंगल ग्रह के प्राचीन जीवन रूपों के अवशेष हैं. इस तस्वीर को देखने में ऐसा लग रहा है, जैसे कि सतह पर इसे किसी ने उकेरा हो.
वैज्ञानिकों का कहना है कि नमक के इन भंडारों में संभावित रूप से मंगल ग्रह की झीलों और नदियों से निकलने वाले कठोर सूक्ष्मजीव हो सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि अरबों साल पहले भयावह ठंड पड़ने के कारण ये जीव गायब हो गए थे. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सैटेलाइट एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर ने केप्चर की है.
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का ये सेटेलाइट मंगल ग्रह पर जीवन के संकेतों के खोजने में जुटा हुआ है. अपनी खोज के दौरान ही सेटेलाइट ने क्लोराइड नमक जमावों की आश्चर्यजनक तस्वीरें अपने कैमरे से खींची.
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों के मुताबिक ये नमक के जमाव ग्रह पर पहले मौजूद जलवायु और उनमें भविष्य में होने वाले बदलाव के बारे में जानकारी दे सकते हैं. वैज्ञानिकों की ये रिसर्च साइंटिफिक डेटा जर्नल में प्रकाशित हुई थी.
बर्न यूनिवर्सिटी, स्विट्जरलैंड के होम साइंटिस्ट वैलेंटिन बिके का कहना है कि मंगल ग्रह पर ठंडा युग उस समय शुरू हुआ, जब ग्रह ने अपना चुंबकीय क्षेत्र को खो दिया. वह अपने वायुमंडल को बनाए नहीं रख सका. यही कारण था कि मंगल ग्रह का पानी वाष्पित हो गया, जम गया या सतह के भीतर फंस गया.
वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगल ग्रह से जैसे-जेसे पानी गायब होता गया, सतह पर खनीजों की छाप बनती गई. यहां तक की नमकीन पानी वहां के जीवन के लिए आश्रय स्थल बन सकती थी क्योंकि नमक हाई कंसंट्रेशन पानी को माइनस 40 डीग्री सेल्सियस तक जमने नहीं देता.
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