महिलाओं की फौज वाले कौन हैं तुर्किए के सबसे बड़े दुश्मन कुर्दिश, जानें सब कुछ
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इस हमले के पीछे कुर्द संगठनों का हाथ बताया गया. दरअसल, कुर्द संगठन तुर्किए की आजादी के बाद से ही एक अलग कुर्द देश की मांग कर रहे हैं. इतना ही नहीं ये लोग देश में तख्तापलट की साजिश भी रच चुके हैं.
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कुर्द एक ग्रुप है जो खासतौर पर मिडिल ईस्ट के तुर्किए, इराक, ईरान और सीरिया में पाए जाते हैं. इन लोगों को अपनी अलग भाषा और संस्कृति है. तुर्किए में कुर्दों का संघर्ष सदियों पुराना है और अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते आ रहे.
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बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कुर्द जांबाज किस्म के लोग होते हैं. 1920 इराक में कुर्दिस्तान की लड़ाई के लिए बने संगठन का नाम पेश मेगा था, जिसका मतलब होता है वो लोग मौत का सामना करते हैं. इनकी सेना में पुरुष और महिलाएं दोनों होते हैं. महिलाएं भी बहादुरी से जंग के मैदान में होती हैं.
कुर्दों के लिए मांग उठाने वाली पार्टी कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी को तुर्किए में आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है. इसका गठन 1978 में अब्दुल्लाह ओकलान ने किया था, जिसका मकसद कुर्दों के लिए राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकार हासिल करना है.
शुरुआत में तो ये वामपंथी विचारधार पर चला लेकिन बाद में इसने चरमपंथ का रूप अख्तियार कर लिया. 1984 में इस पार्टी ने कुर्द की आजादी के लिए विद्रोह शुरू किया.
इसके लड़ाके गुरिल्ला युद्ध नीति का इस्तेमाल करते हैं और तुर्की नागरिकों और सैनिकों को निशाना बनाते रहते हैं.
काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशन के मुताबिक, कुर्द तुर्किए की आबादी का करीब 20 फीसदी हिस्सा हैं. तुर्किए सरकार 20वीं शताब्दी से लगातार कुर्द पहचान का दमन करती आई है, जिसमें कई चीजों पर प्रतिबंध लगाना शामिल है.
मौजूदा राष्ट्रपति एर्दोगन के शासन में कुर्दों और पीकेके के बीछ असंतोष बढ़ गया. कुछ महीनों पहले गीजी पार्क में विरोध प्रदर्शन हुए, जो दर्शाते हैं कि तुर्किए और कुर्द संगठनों के बीच तनाव बढा है.
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