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Muslim Migrants: दुनिया के किस देश में रहते हैं सबसे ज्यादा मुस्लिम आप्रवासी, क्या लिस्ट में है भारत का भी नाम, जानें
मुस्लिम प्रवासियों के लिए सऊदी अरब और तुर्की जैसे अमीर मुस्लिम देश प्रमुख गंतव्य बनते जा रहे हैं. 2020 तक, सऊदी अरब में 13 फीसदी मुस्लिम प्रवासी और तुर्किए में 5.9 मिलियन प्रवासी बसे हुए थे.

दुनिया में रहने वाले मुस्लिम आप्रवासी
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मुस्लिम प्रवासियों की सबसे आम गंतव्य सूची में शीर्ष स्थान सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे अमीर मुस्लिम देश हैं. मुस्लिम प्रवासी मुख्य रूप से उन देशों में जाते हैं जो आर्थिक रूप से समृद्ध हैं और जहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं. यह प्रवृत्ति सीरिया, भारत, और अन्य मुस्लिम-बहुल देशों से आने वाले प्रवासियों के बीच आम है.
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सऊदी अरब कुल मिलाकर दुनिया के तीसरे सबसे बड़े प्रवासी गंतव्य के रूप में भी जाना जाता है. यहां की कुल आबादी का 93 फीसदी मुस्लिम है और प्रवासियों में से 80 फीसदी मुस्लिम होते हैं.
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सऊदी अरब की तरह यूएई में भी प्रवासी श्रमिकों की बहुत मांग है, और यहां अधिकांश प्रवासी भारत और अन्य मुस्लिम देशों से आते हैं.
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तुर्किए मुस्लिम प्रवासियों के लिए तीसरा सबसे आम गंतव्य है. 2020 तक, यहां 5.9 मिलियन मुस्लिम प्रवासी थे, जिनमें से अधिकांश सीरिया से आए थे.
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2011 में सीरियाई गृहयुद्ध के बाद तुर्किए ने बड़ी संख्या में शरणार्थियों को अपने यहां बसाया. तुर्किए ने एक दशक में अपने मुस्लिम प्रवासियों की संख्या को लगभग छह गुना बढ़ते देखा है.
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जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका मुस्लिम प्रवासियों के लिए अन्य प्रमुख गंतव्य हैं. इन देशों में बेहतर आर्थिक अवसर और सामाजिक सुरक्षा मुस्लिम प्रवासियों को आकर्षित करते हैं, हालांकि यहां की मुस्लिम प्रवासी संख्या सऊदी अरब या तुर्की जितनी बड़ी नहीं है.
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यूरोप और उत्तरी अमेरिका मुस्लिम प्रवासियों के लिए प्रमुख गंतव्य बने हुए हैं, हालांकि इन क्षेत्रों में प्रवासियों की संख्या कम है. मुस्लिम प्रवासियों का 20 फीसदी यूरोप में रहता है, जबकि 6 फीसदी उत्तरी अमेरिका में हैं.
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उदाहरण के लिए, जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में मुस्लिम प्रवासी मुख्य रूप से बेहतर नौकरी के अवसरों और सुरक्षित माहौल के लिए जाते हैं. इसके बावजूद, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में मुस्लिम प्रवासियों की संख्या सऊदी अरब या तुर्की जैसे मुस्लिम देशों की तुलना में कम है.
Published at : 22 Mar 2025 11:04 AM (IST)
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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