अमित शाह के इन 'नवरत्नों' के आसरे बीजेपी को मिली यूपी चुनाव में बम्पर जीत
बीजेपी के महामंत्री अनिल जैन अमित शाह के आठवें रत्न हैं. वैसे पेशे से तो डॉक्टर हैं लेकिन ये भी खुद को लो प्रोफाइल ही रखते हैं. आपको बता दें कि बीजेपी की हर रैली में ज़रुरत के मुताबिक क्षेत्र और जाति के हिसाब से नेताओं को भेजना और उसकी तैयारी की पूरी ज़िम्मेदारी अनिल जैन के कंधो पर ही थी.
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View In Appउत्तर प्रदेश चुनाव 14 साल का वनवास खत्म करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की है. बीजेपी ने ये चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा था, लेकिन यूपी चुनाव की पूरी कमान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने हाथों में संभाल रखी थी. अपनी जीत तो पक्का करने के लिए अमित शाह ने नवरत्नों के आसरे चुनाव जीतने की रणनीति तैयार की. यूपी चुनाव में बीजेपी को मिली ये बम्पर जीत अमित शाह और इन नवरत्नों के फॉर्मूले का ही नतीजा है.
लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा शाह के नौ रत्नों में शामिल हैं और उनकी हैसियत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव समिति के सदस्य नहीं होने के बावजूद वे हमेशा टिकेट बांटने वाली समिति की बैठक में मौजूद रहे.
अमित शाह के सातवें रत्न हैं शिवप्रकाश, शिवप्रकाश बीजेपी में सह संगठन मंत्री है और आरएसएस वालों की तरह लो प्रोफाइल रहते हैं. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में ज़मीनी पकड़ रखने वाले शिवप्रकाश ने उम्मीदवारो के चयन और जीत की रणनीती बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई शिवप्रकाश को आपको बता दें कि उत्तरखंड में तो इन्हें मुख्यमन्त्री पद का दावेदार भी माना जाता है.
यूपी से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ भी अमित शाह के नवरत्नों में शामिल हैं. योगी बीजेपी में हिंदुत्व के पोस्टर ब्वॉय हैं. योगी अपनी रैलियों के ज़रिए मुस्लिम बाहुल इलाकों में हिन्दुओ के ध्रुवीकरण में कामयाब रहे. योगी ने पूरे उत्तर प्रदेश में पहली बार रैलियां की और करीब 100 से ज़्यादा रैलियों के ज़रिये बीजेपी के पक्ष में वोटो का ध्रुवीकरण करने में सफल रहे.
अमित शाह के पांचवे और महत्वपूर्ण रत्न भूपेंद्र यादव हैं. मीडिया को संभालने का पूरा जिम्मा भूपेंद्र यादव के कंधो पर ही था. भूपेंद्र यादव एग्रेसिव मीडिया रणनीति के बजाय इंतज़ार करो और वार करो की रणनीति में भरोसा करते हैं. ये भूपेंद्र यादव का मैंनेजमेंट ही था कि इस चुनाव में बीजेपी के नेताओं की तरफ से कोई वेबजह का बयान सामने नहीं आया.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल अमित शाह के चौथे रत्न है. पीयूष गोयल ही एक ऐसे नेता है जिनकी भूमिका पांचो राज्यों में रही है. पार्टी के कोषाध्यक्ष के नाते उनकी भूमिका हर जगह पर ही थी. पार्टी के प्रचार का सारी जिम्मेवारी पीयूष गोयल के ही कंधो पर थी. टीवी- रेडियो से लेकर अख़बार और वेब हर जगह बीजेपी के विज्ञापन तय करना उनकी रिपोर्ट लेना और ज़रुरत के मुताबिक रणनीति बदलना, ये सब पियूष गोयल ही तय करते थे.
अमित शाह के नवरत्नों में तीसरा नाम तीसरे यूपी बीजेपी अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का है. अमित शाह ने ही केशव मौर्य को यूपी का अध्यक्ष बनाया. उनका ये फैसला इतना सही साबित हुआ कि केशव मौर्य यूपी में मोदी के बाद सबसे बड़ा पिछड़ा चेहरा बन गए. संघ से होकर बीजेपी में आए केशव मोर्य, हमेशा मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ जल्द ही कार्यकर्ताओ के बीच लोकप्रिय हो गए.
यूपी के बीजेपी प्रभारी ओम माथूर अमित शाह के दूसरे नवरत्न हैं. अमित शाह ने ही ओम माथुर को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया. बात चाहें उम्मीदवारों के चयन की हो या फिर क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन सभी फैसलों में ओम माथूर की अहम भूमिका रही. आपको बता दें कि ओम माथूर के बारे में ये बात हमेशा कही जाती है कि वो जहां भी जाते हैं पार्टी का सीएम बनवाकर ही वापस लौटते हैं.
अमित शाह के नवरत्नों की लिस्ट में पहला नाम सुनील बंसल का है जो उत्तर प्रदेश के संगठन महामंत्री है. एबीवीप से बीजेपी में आने वाले सुनील बंसल माइक्रो मैनेजमेंट के माहिर खिलाड़ी रहे हैं. आपको बता दें कि बंसल ने विधानसभा चुनावो से 6 महीने पहले ही संभावित उम्मीदवारों की एक लिस्ट बना ली थी और इन नामों का चयन उन्होंने सात श्रेणियों में खरे उतरने के बाद किया था. जिन नामों पर ज़िला/क्षेत्र/प्रदेश/सांसद/विचार /परिवार और सर्वे में एक राय बनी उनकी सूची बंसल ने तैयार कर ली थी और इसका बड़ा फायदा पार्टी को ये हुआ कि पूरे टिकट बटंवारे के दौरान कोई भी नेता नाराज़ नहीं हुआ और पार्टी ने जातिगत समीकरणों को भी साध लिया.
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