अहमदाबाद में राज्य के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने झाड़ू लगाकर सुबह सात बजे रथयात्रा को रवाना कर दिया है. सीएम रूपाणी अपने पूरे परिवार के साथ रथयात्रा में दर्शन के लिए पहुंचे हैं. रथयात्रा से पहले झाड़ू लगाने को पहिंद विधि कहा जाता है.
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विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण को ही जगन्नाथ यानी जगत के पालनहार कहा जाता है. गुजरात में भारी तादाद में भगवान कृष्ण के अनुयायी हैं. गुजरात के द्वारका में भगवान कृष्ण की राजधानी की मान्यता है. इस मौके पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह रथयात्रा से पहले अहमदाबाद में मंगला आरती में पहुंचे.
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अहमदाबाद की रथयात्रा में शामिल होने के लिए उमड़ी भारी भीड़. भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र औऱ बहन सुभद्रा की एक झलक पाने के लिए बेताब दिखे लोग. अहमदाबाद में रथयात्रा के 15 किमी लम्बे रूट पर पहली बार इजराइली हीलियम बैलून लगाए गए हैं. हाईडेफिनेशन कैमेरों की मदद से यात्रा पर नजर रखी जा रही है.
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आज यानी शनिवार को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है. इस मौके पर ओडिशा के पुरी और गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जा रही है.
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अहमदाबाद की रथयात्रा में सुरक्षा के बेहद सख्त इंतजाम हैं. गुजरात पुलिस के 14 हजार से ज्यादा जवान, स्टेट रिजर्व पुलिस की 22 कंपनियां और अर्धसैनिक बलों की 25 कंपनियां तैनात हैं.
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अहमदाबाद में रथयात्रा भगवान जगन्नाथ के मुख्य मंदिर से सरसपुर के रणछोड़दास मंदिर तक जाएगी. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ यहां करीब दो घंटे रुकेंगे. सरसपुर के रणछोड़दास मंदिर को भगवान जगन्नाथ का ननिहाल कहा जाता है.
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भगवान जगन्नाथ जी का रथ पीले और लाल रंग के कपड़ों से बना है, जिसमें 16 पहिए लगे हैं जबकि बलभद्र जी का रथ हरे और लाल रंग का है, इसमें 14 पहिए लगे हैं. सुभद्रा जी का रथ काले और लाल रंग के कपड़ों का बना है. इसमें 12 पहिए लगे हैं. लकड़ी के बने इन रथों को भक्त रस्सियों से खींचते हैं.
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रथयात्रा में राज्य के प्रमुख यानी सीएम की तरफ से भगवान के स्वागत की परंपरा है. इसका संदेश ये है कि जगत के स्वामी जगन्नाथ हैं और सभी उनके सेवक हैं.
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अहमदाबाद में मंत्रोच्चार के साथ मंगला आरती के पहले भगवान जगन्नाथ का भव्य स्नान और अभिषेक किया गया. मान्यता के मुताबिक भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होने के बाद रथ के जरिए शहर में निकलते हैं.