Republic Day 2021: स्वतंत्रता सेनानियों के ये नारे देशवासियों में भर देंगे देशभक्ति का जज्बा
राम प्रसाद बिस्मिल- सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ... ये पंक्तियां रामप्रसाद बिस्मिल ने दी है. बाद में इसका ब्रिटिश शासन को चुनौती देने के लिए नारे के तौर पर इस्तेमाल किया गया. Prasad Bismil
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appबाल गंगाधर तिलक- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा ये नारा बाल गंगाधर तिलक ने दिया था. इस नारे ने आजादी के आंदोलन के दौरान देशवासियों में गजब का देश प्रेम का जज्बा भरा था.
पंडित मदन मोहन मालवीय-सत्यमेव जयते सत्यमेव जयते नारे को मुंडकोपनिषद से लिया गया है. इसका अर्थ है सच की जीत. पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय संबोधन के दौरान इस नारे का इस्तेमाल किया था.
बंकिम चटर्जी- वंदे मातरम इस कविता को बंकिम चटर्जी ने लिखा था उन्होने आजादी के आदोंलन के समय इस कविता में भारत को देवी और मां के रूप में वर्णित किया था.
मोहम्मद इकबाल- सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा ये गीत आज भी हर किसी की जुबान पर चढ़ा हुआ है. यकीनन इस गीत को सुनकर यही भावना आती है कि हमारा हिंदुस्तान सारे जहां से अच्छा है. प्रसिद्ध कवि और राजनीतिज्ञ और दार्शनिक मोहम्मद इकबाल ने इस गीत को लिखा था.
महात्मा गांधी- करो या मरो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा दिया था. उन्होंने ये नारा 7 अगस्त, 1942 को ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी की एक बैठक के बाद दिया था. इसके अगले दिन यानी 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ था. रात में कांग्रेस के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए महात्मा गांधी ने कहा था, ‘ मेरे जेल जाने से कुछ नहीं होगा, करो या मरो.’
कल 26 जनवरी है और पूरा देश गणतंत्र दिवस को लेकर काफी उत्साहित है. राजपथ पर परेड में देश की सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया जाएगा और देश की विविध संस्कृति, एकता और अखंडता की अद्भुत झलक नजारा देखने को मिलेगी. गणतंत्र दिवस पर देश के उन वीर सपूतों की कुर्बानी याद करना बेहद जरूरी है जिन्होंने आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई. इन स्वतंत्रता सेनानियों ने देश में आजादी का जोश भरने के लिए कई नारे भी दिए थे जो आज भी हर किसी के जुबान पर चढ़े हुए हैं. आइए इस गंणतंत्र दिवस पर जानते हैं स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए गए कुछ बड़े नारे
जवाहर लाल नेहरू- आराम हराम है देश के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी जवाहर लाल नेहरू ने ब्रिटिश शासन से लड़ने के लिए ये नारा दिया था. उनका मानना था कि जब तक देश आजाद नहीं हो जाता तब तक आराम से नहीं बैठ सकते.
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा- सुभाष चंद्र बोस ये नारा आजाद निंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दिया था. इस नारे के दम पर नेताजी ने देशवासियों में आजादी के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर देने के लिए प्रेरित किया था. उनसे प्रेरित होकर हजारों देशभक्तों ने आजादी के लिए अपनी जिंदगी का बलिदान दिया था.
इंकलाब जिंदाबाद इंकलाब जिंदाबाद का नारा भगत सिंह ने दिया था और इस नारे को उर्दू के कवि और स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हसरत मोहानी ने दिया था. महज 23 साल की उम्र में खुद को देश के लिए कुर्बान कर देने वाले भगत सिंह ने इस नारे को लोकप्रिय बनाया. इंकलाब जिंदाबाद का ये नारा आजादी की लड़ाई के दौरान सभी की जुबान पर चढ़ा रहा और आज भी लोग इस नारे को सुनकर और बोलकर देशभक्ति की भावना से भर जाते हैं.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -