समलैंगिता पर बयान देकर विवादों में घिरे रविशंकर, सोनम-आलिया समेत चार अदाकाराओं ने जताई आपत्ति
बताते चलें कि धारा 377 पर दिल्ली हाई कोर्ट के 2009 में दिए गए आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था जिसके बाद देश में समलैंगिक होना एक बार फिर अपराध बन गया. लेकिन LGBT समुदाय के लोग हर साल देश के अलग-अलग शहरों में प्राइड मार्च निकालते हैं जिसके सहारे वो अपनी उपस्थिति दर्ज करने के अलावा अपने हक की लड़ाई लड़ते हैं. बताते चलें कि इस समुदाय ने बीते रविवार को दिल्ली में ऐसा ही एक मार्च निकाला था जिसमें स्मॉग के बावजूद अच्छी भीड़ इक्ट्ठा हुई थी.
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View In Appसोनम ने तीसरे ट्वीट में लिखा है कि समलैंगिकता कोई प्रवृति नहीं है बल्कि लोगों में ये जन्मजात होती है और ये बिल्कुल सामान्य है. किसी का ये कहान कि इस बदला जा सकता है, गैरजिम्मेदाराना है.
विवादों से पर्याप्त दूरी बनाकर रखने वाली प्यारी सी अदाकारा आलिय भट्ट ने सोनम के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा है कि हे भगवान, हद्द है!
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर का एक बयान सोशल मीडिया पर उनकी ट्रोलिंग और विवाद का कारण बन गया. दरअसल एक अंग्रेज़ी वेबसाइट ने श्री श्री का एक बयान छापा जिसमें उन्होंने कहा है कि समलैंगिकता एक प्रवृति है और ये हमेशा के लिए नहीं बनी रहती. उनके बयान का मतलब ये है कि संलैंगिक लोग जन्म से ऐसे नहीं होते बल्कि समय के साथ उनमें ये प्रवृति आ जाती है जिसे बदला जा सकता है. इसे लेकर फिल्म नीरजा के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली सोनम कपूर ने उन्हें घेर लिया. सोनम ने इमोजीज़ और कैप्शन के सहारे निराशा व्यक्त की. उन्होंने इससे जुड़े कुल तीन ट्वीट्स किए.
जानी-मानी सेलिब्रिटी सिंगर और डांसर सोफी चौधरी ने उनके इस ट्वीट को लाइक करके अपना समर्थन जाहिर किया है. वहीं सोफी के अलावा इस विवाद में इंडस्ट्री की दो और स्थापित अदाकाराएं कूद पड़ीं.
इसी के बाद किए गए एक और ट्वीट में सोनम लिखती हैं कि जो लोग भगवान बने बैठे हैं उन्हें आखिर दिक्कत क्या है. उन्होंने आगे दो लोगों का ट्विटर हैंडल शेयर करते हुए लिखा है कि अगर कोई हिंदुइज़्म और संस्कृति के बारे में जानना चाहता है तो इन्हें फॉलो करे.
इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए गैंग्स ऑफ वासेपुर में दुर्गा के किरदार से फेमस हुईं ऋचा चड्ढा ने लिखा है कि समलैंगिक होना ना तो किसी के बस में है और ना ही किसी तरह की प्रवृति का हिस्सा है. वे आगे लिखती हैं कि इसे लेकर एक थ्योरी है जो कहती है कि अगर कोई अपने भीतर उठ रही समलैंगिक भवनाओं/ज़रूरत को शर्म और डर से दबाए रखता है तो यही उसके भीतर समलैंगिकत के विरोध की भावनाओं का कारण बनता है. ये रविशंकर के बायन पर सबसे बड़ा हमला इसलिए हैं क्योकि गौर करने पर ये उनमें समलैंगिकता के लक्ष्ण दिखाने वाला बयान लगता है.
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