IND vs ENG: मुश्किलों का डटकर किया सामना, टेंट में रहने से लेकर दोहरे शतक तक, दिलचस्प है यशस्वी की की कहानी
मुंबई के आजाद मैदान से भारतीय टीम तक पहुंचने का यशस्वी जायसवाल का सफर काफी मुश्किलों से भरा रहा. हालांकि उन्होंने अपनी मुश्किलों से कभी हार नहीं मानी.
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View In App11 साल की उम्र में क्रिकेटर बनने का सपना लेकर मुंबई पहुंचे यशस्वी जायसवाल लगभग तीन सालों तक टेंट में रहें. क्रिकेटर बनने के सपने और अपनी गरीबी को दूर करने के लिए यशस्वी ने डेयरी साफ पर काम किया और सड़क किनारे पानी पूरी भी बेची.
यशस्वी जायसवाल की किस्मत तब पलटी जब उनपर कोच ज्वाला सिंह की नजर गई. उन्होंने यशस्वी के अंदर बल्लेबाजी की अभूतपूर्व क्षमता देखी. यशस्वी के इस क्षमता को देखकर ज्वाला सिंह ने उन्हें अपने यहां आसरा दिया.
करियर के शुरुआत दौर में विफलताओं और आउट होने से डरने वाले यशस्वी ने कोच ज्वाला सिंह के मार्गदर्शन में कड़ी मेहनत की और निडर क्रिकेटर बन गए.
2015 में यशस्वी ने जाइल्स शील्ड मैच में 319 रनों की पारी खेली. इस पारी के बाद उनका नाम सुर्खियों में आया. यशस्वी ने इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
यशस्वी इसके बाद अंडर-19 वर्ल्ड कप, आईपीएल में बल्ले से छा गए. उनके दमदार प्रदर्शन को देकर उन्हें भारतीय टीम में जगह मिली.
भारतीय टीम में जगह मिलना यशस्वी का सपना सच होना जैसा था. उन्होंने टीम में मिले मौके को पूरी तरह भुनाया और आज उनका नाम पूरी दुनिया में मशहूर हो गया.
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